मध्यप्रदेश में शराब नीति में बदलाव शराब की दुकानों पर कड़ा प्रतिबंध, अहातों पर सरकार का नया फैसला

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश सरकार धार्मिक नगरों में शराब की दुकानों को बंद करने के पक्ष में है।

  • मुख्यमंत्री ने क्यों किया इस फैसले का समर्थन?
  • उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ का असर
  • मध्यप्रदेश में शराब दुकानों की संख्या
  • अहातों पर सरकार का नया फैसला
  • शराब नीति में प्रस्तावित बदलाव

Madhya Pradesh Liquor Policy : मध्यप्रदेश की सरकार आगामी समय में एक अहम कदम उठाने जा रही है, जिसमें राज्य के धार्मिक नगरों में शराब की दुकानों को बंद करने का प्रस्ताव है। यह फैसला राज्य की आगामी आबकारी नीति में किए जाने वाले संशोधनों के तहत लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस कदम की घोषणा की है और इसे लेकर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। धार्मिक स्थलों और नगरों में शराब की दुकानों को बंद करने की बात पहले साधू संतों द्वारा उठाई गई थी, और अब मुख्यमंत्री ने इस पर अपनी सहमति भी जताई है।

मुख्यमंत्री ने क्यों किया इस फैसले का समर्थन?

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट किया है कि मध्यप्रदेश सरकार धार्मिक नगरों में शराब की दुकानों को बंद करने के पक्ष में है। उनका कहना है कि धार्मिक नगरी और उनके आस-पास का वातावरण पवित्र होता है और यहां शराब की बिक्री से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।

मुख्यमंत्री ने इसे लेकर बयान दिया कि प्रदेश के प्रमुख धार्मिक नगरों जैसे उज्जैन, ओरछा और चित्रकूट में शराब की दुकानों का संचालन नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, इन नगरों से कुछ दूरी पर शराब की दुकानें संचालित की जाएंगी । यह फैसला राज्य सरकार की आगामी आबकारी नीति का हिस्सा होगा, जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ का असर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राज्य में शराबबंदी के संकेत दिए जाने के बाद, मध्यप्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाने पर विचार किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्वीकार किया कि इस मामले में उत्तर प्रदेश की नीति का असर मध्यप्रदेश पर भी देखा गया। उन्होंने कहा कि राज्य के धार्मिक नगरों में शराब की दुकानों को बंद करना राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। यह कदम धार्मिक नगरी के शुद्ध और पवित्र माहौल को बनाए रखने के लिए उठाया जा रहा है।

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शिवराज सरकार का भी था बड़ा निर्णय

यह पहला मौका नहीं है जब मध्यप्रदेश सरकार ने शराब से जुड़े मुद्दे पर कठोर निर्णय लिया हो। पूर्ववर्ती शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने भी नर्मदा नदी के किनारे स्थित क्षेत्रों में शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया था। यह कदम धार्मिक आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था। अब, मोहन सरकार इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए अन्य धार्मिक नगरों में भी शराब की दुकानों पर कड़ी पाबंदी लगाने जा रही है।

मध्यप्रदेश में शराब दुकानों की संख्या

मध्यप्रदेश में वर्तमान में कुल 3065 शराब की दुकानें हैं। इन दुकानों की संख्या और संचालन के तरीके को लेकर सरकार नई आबकारी नीति में बदलाव करने की योजना बना रही है। पिछले साल शराब दुकानों की नीलामी समूहों के आधार पर की गई थी,

लेकिन अब सरकार का विचार एकल दुकानों की नीलामी करने का है। इससे शराब ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और राज्य के राजस्व में वृद्धि की संभावना भी है। सरकार का मानना है कि एकल दुकानों की नीलामी से शराब के ठेकेदारों की संख्या बढ़ेगी और इससे वित्तीय लाभ होगा।

अहातों पर सरकार का नया फैसला

मध्यप्रदेश में एक और बड़ा मुद्दा जो राज्य सरकार के सामने है, वह है शराब के अहाते। अहाते वे स्थान होते हैं, जहां लोग बैठकर शराब का सेवन कर सकते हैं। पूर्ववर्ती शिवराज सरकार ने 2023 में प्रदेश में अहातों को बंद करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब सरकार इस पर पुनर्विचार करने के मूड में है।

दरअसल, शराब की दुकानों के बाहर सड़कें शराबियों से भरी रहती हैं, जिससे आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, सरकार इस समस्या को हल करने के लिए अहातों को फिर से खोलने की संभावना पर विचार कर रही है, ताकि शराब पीने वालों को एक निर्धारित स्थान मिले और सड़कों पर अव्यवस्था न फैले।

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शराब नीति में प्रस्तावित बदलाव

राज्य सरकार की आगामी शराब नीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित हैं, जिनमें प्रमुख बदलाव धार्मिक नगरों में शराब की दुकानों का संचालन रोकना है। साथ ही, शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।

शराब ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने से राज्य सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होने की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य यह है कि शराब से जुड़े मामलों में न सिर्फ पारदर्शिता बढ़े, बल्कि शराब के सेवन से जुड़ी सामाजिक समस्याओं को भी कम किया जा सके।

राज्य की आबकारी नीति का उद्देश्य

मध्यप्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति का उद्देश्य राज्य में शराब के व्यापार को सही दिशा में लेकर जाना और शराब के सेवन से होने वाली सामाजिक समस्याओं को कम करना है। शराब के अत्यधिक सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याएं, दुर्घटनाएं, और अपराध बढ़ रहे हैं, जिससे राज्य की सामाजिक संरचना प्रभावित हो रही है। सरकार इस बात को समझते हुए कदम उठा रही है कि शराब के व्यापार को नियंत्रित करने से सामाजिक और धार्मिक स्थलों पर बेहतर वातावरण सुनिश्चित किया जा सके।

शराबबंदी के असर

यदि यह प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं, तो इसका प्रभाव केवल धार्मिक नगरों पर ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य की शराब नीति पर पड़ेगा। शराबबंदी से उन लोगों पर भी प्रभाव पड़ेगा जो शराब के व्यावसायिक उपयोग में लगे हुए हैं।

साथ ही, शराब की दुकानों के बंद होने से राज्य को होने वाली राजस्व की कमी को भी पूरा करने के उपाय सरकार को तलाशने होंगे। इसके अलावा, यह कदम उन लोगों के लिए राहत का कारण बनेगा जो शराब के सेवन से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं।

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