मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग का काला सच,सौरभ शर्मा की डायरी में छुपा करोड़ का वसूली राज शोसल मीडिया पर बायरल हुए पेज
इन जानकारियों में ना केवल परिवहन विभाग की अंधाधुंध वसूली का सच है, बल्कि यह भी सामने आया है कि किस तरह से चेकपोस्टों से पैसे की वसूली की जाती थी।
- सौरभ शर्मा था काली कमाई का कुबेर
- 50 करोड़ की वसूली का कितना बड़ा घोटाला?
- चेकपोस्टों पर काला धंधा
- सोशल मीडिया पर वायरल डायरी के पन्ने
Saurabh Sharma News : मध्य प्रदेश में हाल ही में एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसने राज्य की परिवहन व्यवस्था और सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार की गहरी परतों को उजागर किया है। पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा का नाम इस काले कारोबार से जुड़ा हुआ है।
और अब उसके द्वारा इस्तेमाल की गई डायरी के पन्नों से कुछ चौंकाने वाली जानकारियाँ सामने आई हैं। इन जानकारियों में ना केवल परिवहन विभाग की अंधाधुंध वसूली का सच है, बल्कि यह भी सामने आया है कि किस तरह से चेकपोस्टों से पैसे की वसूली की जाती थी।
सौरभ शर्मा था काली कमाई का कुबेर
सौरभ शर्मा, जो कभी मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में आरक्षक था, अब खुद को करोड़ों की संपत्ति का मालिक बना चुका है। वह किसी आम कर्मचारी की तरह काम नहीं करता था, बल्कि उसने चेकपोस्टों से वसूली के माध्यम से अपनी संपत्ति को इकट्ठा किया। जब उसके ठिकानों पर छापेमारी की गई, तब उसकी डायरी में दर्ज वसूली के आंकड़े और जानकारी ने पूरे विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर किया।
डायरी में दर्ज जानकारी के अनुसार, पिछले पांच महीनों में लगभग 50 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी। इस वसूली का हिसाब साफ तौर पर दर्ज था, और इसमें चेकपोस्टों से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गई थीं। इन दस्तावेजों में ‘टीएम’ और ‘टीसी’ जैसे शॉर्टफॉर्म्स का लिखा है,
डायरी ने खोल बड़ा का रहस्य
सौरभ शर्मा की डायरी के पन्नों पर जो जानकारी दर्ज थी, वह सचमुच चौंकाने वाली थी। डायरी में हर पेज पर चेकपोस्टों के नाम, वसूली की राशि, जमा की गई राशि, और बाकी बची हुई राशि की भी जानकारी है ।
कुछ पन्नों पर तो यह भी लिखा था कि किस चेकपोस्ट पर कितनी राशि एकत्र की गई और यह पैसा किसे किस रूप में दिया गया। यह वसूली न केवल अधिकारियों द्वारा की जाती थी, बल्कि इसमें आम कर्मचारियों और निजी ठेकेदारों का भी हाथ था।
चेकपोस्टों पर काला धंधा
मध्य प्रदेश के चेकपोस्टों पर हुए इस घोटाले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि ये चेकपोस्ट वसूली के अड्डे बन चुके थे। हर चेकपोस्ट पर वाहनों से अवैध रूप से पैसा लिया जाता था। खासकर बड़े ट्रक और लॉरी से यह राशि ली जाती थी।
सौरभ शर्मा की डायरी में सेंधवा चेकपोस्ट का नाम सबसे ज्यादा बार आया है, जहां सबसे ज्यादा वसूली की गई थी। इसके अलावा, डायरी में दर्ज चेकपोस्टों के नाम में नयागांव, मुरैना, सिकंदरा, खिलचीपुर और कई अन्य चेकपोस्ट भी शामिल थे।
चेकपोस्टों पर काम करने वाले स्टाफ की तैनाती भी पूरी तरह से डमी होती थी। ज्यादा लोगों की तैनाती नहीं होती थी, और कार्यभार निजी ठेकेदारों या बाहरी लोगों को सौंप दिया जाता था, जिन्हें ‘कटर’ कहा जाता था। इन कटरों को वसूली का जिम्मा सौंपा जाता था, और यह चुपचाप अवैध रूप से पैसा इकट्ठा करते थे।
वसूली की राशि और स्टाफ की कमी
इन चेकपोस्टों पर स्टाफ की भारी कमी थी। चेकपोस्ट पर तैनात होने वाले स्टाफ को रोजनामचे में नाम दर्ज कराया जाता था, लेकिन वे मौके पर मौजूद नहीं रहते थे। कुछ चेकपोस्टों पर एक आरटीई (रूट ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर), दो सब इंस्पेक्टर और हवलदार की तैनाती का नियम था, लेकिन जमीनी हकीकत यह थी कि इन जगहों पर उनके बजाय निजी व्यक्तियों द्वारा वसूली का काम किया जाता था। ये लोग सरकारी कर्मचारियों के रूप में रोजनामचे में दर्ज होते थे, लेकिन असल में कोई काम नहीं करते थे।
सोशल मीडिया पर वायरल डायरी के पन्ने
सौरभ शर्मा के घर छापे के बाद मिली एक डायरी के कुछ पन्ने अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं इन पेजों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि सौरभ शर्मा द्वारा किस तरीके से वसूली का हिसाब का लेखा-जोखा रखा गया था वही कुछ पन्नू में कोड भी लिखे हैं उन कोड वर्ड का क्या मतलब है यह भी स्पष्ट हो जाएगा
50 करोड़ की वसूली का कितना बड़ा घोटाला?
यदि पांच माह की वसूली को देखा जाए, तो यह राशि लगभग 50 करोड़ रुपये बैठती है। यानी हर माह 10 करोड़ रुपये की वसूली की जा रही थी। सौरभ शर्मा की कार्यावधि 81 महीने रही, तो यदि इसी दर से वसूली की जाए, तो 800 करोड़ रुपये से अधिक की राशि इस घोटाले के अंतर्गत वसूली गई होगी।
चेकपोस्ट बंद होने के बाद
हालांकि, राज्य सरकार ने 1 जुलाई 2024 से चेकपोस्टों को बंद करने का निर्णय लिया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि इतने सालों से यह भ्रष्टाचार किस तरह से फल-फूल रहा था।