मध्यप्रदेश में शराब नीति में बदलाव, बंद अहातों की जगह परमिट रूम खोलने की योजना, क्या ये सरकार का नया कदम असरदार होगा?
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने राज्य में शराब की दुकानों और अहातों को लेकर जो नीति बनाई थी, उसमें अब बदलाव की योजना बन रही है।
- आबकारी विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई नीति का ड्राफ्ट तैयार
- नई आबकारी नीति के प्रमुख बिंदु
- पुराने अहातों के विकल्प के रूप में मिनी बार
- पुरानी शराब दुकानों के ठेकों का नवीनीकरण
- धार्मिक और पवित्र नगरी से शराब की दुकानों को हटाने का भी प्रस्ताव
Madhya Pradesh Liquor Policy 2025 : मध्यप्रदेश में शराब से संबंधित नीति में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जो राज्य के शराब बाजार को नया रूप दे सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने राज्य में शराब की दुकानों और अहातों को लेकर जो नीति बनाई थी, उसमें अब बदलाव की योजना बन रही है।
अब प्रदेश सरकार शराब दुकानों के आसपास परमिट रूम खोलने की दिशा में काम कर रही है। इसके तहत, शराब दुकानों के 100 मीटर के दायरे में मिनी बार खोलने का प्रस्ताव है, जिससे राज्य के शराब व्यापार में एक नया मोड़ आ सकता है।
आबकारी विभाग ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए नई नीति का ड्राफ्ट तैयार कर कैबिनेट की समिति को भेजा था, और सोमवार को इस पर चर्चा भी की गई। इस नई नीति के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं, जिनका असर प्रदेश की आर्थिक स्थिति और शराब व्यवसाय पर पड़ सकता है।
नई आबकारी नीति के प्रमुख बिंदु
नई आबकारी नीति में कुछ अहम प्रस्ताव दिए गए हैं, जिनकी चर्चा लगातार हो रही है। इनमें सबसे बड़ा प्रस्ताव है, शराब दुकानों के आसपास 100 मीटर के दायरे में मिनी बार खोलने का। यह मिनी बार या परमिट रूम शराब दुकानों के साथ जुड़ा होगा, जहां पर लोग शराब का सेवन कर सकेंगे।
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे शराब के सेवन के तरीकों में बदलाव आ सकता है और शराब कारोबार से संबंधित नियमों में लचीलापन दिख सकता है।
इसके अलावा, कैबिनेट की सब कमेटी ने शराब की कीमतों में 15% तक की कमी करने के प्रस्ताव पर भी मंथन किया। हालांकि, इसके साथ ही यह भी प्रस्ताव है कि शराब पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जाए, जिससे शराब की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। यदि एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जाती है, तो इसका असर सीधे तौर पर शराब की कीमतों पर पड़ेगा, और इसका असर उपभोक्ताओं के साथ-साथ शराब कारोबारियों पर भी हो सकता है।
पुराने अहातों के विकल्प के रूप में मिनी बार
मध्यप्रदेश में शराब के अहातों को लेकर सरकार की योजना में बड़ा बदलाव हो सकता है। पहले जहां प्रदेश में शराब के अहाते खुले थे, वहीं अब सरकार उन अहातों के स्थान पर मिनी बार खोलने की योजना बना रही है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सरकार अहातों के विकल्प पर मंथन कर रही है।
आबकारी विभाग के अनुसार, मिनी बार में शराब का सेवन किया जा सकेगा, लेकिन यह एक नियंत्रित वातावरण में होगा। सरकार का उद्देश्य है कि शराब के सेवन की जगहों को नियंत्रित किया जाए, ताकि सार्वजनिक जगहों पर अनियंत्रित शराब सेवन को रोका जा सके। यह कदम खासकर उन इलाकों में फायदेमंद हो सकता है, जहां शराब की बिक्री या सेवन पर निगरानी रखना मुश्किल होता है।
पुरानी शराब दुकानों के ठेकों का नवीनीकरण
नई नीति के तहत, पुरानी शराब दुकानों के ठेकों के नवीनीकरण का भी प्रस्ताव है। सरकार ने निर्णय लिया है कि 80% पुरानी शराब दुकानों के ठेके 20% की वृद्धि के साथ रिन्यू किए जाएंगे। इस निर्णय से उन दुकानों को एक नई दिशा मिल सकती है, जो पहले से चल रही हैं।
यह निर्णय उन व्यापारियों को राहत दे सकता है, जो पहले से शराब कारोबार में लगे हुए हैं और अब इस नीति के तहत उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है।
धार्मिक और पवित्र नगरी से शराब की दुकानों को हटाने का भी प्रस्ताव
इसके अलावा, सरकार ने धार्मिक और पवित्र नगरी से शराब की दुकानों को हटाने का भी प्रस्ताव दिया है। इसके तहत, उज्जैन नगर निगम और अन्य 13 शहरों की नगरपालिका और नगरपंचायत सीमा के भीतर स्थित शराब दुकानों को बंद किया जा सकता है। यह निर्णय धार्मिक स्थलों के पास शराब की बिक्री पर नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से लिया जा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में शराब दुकानों का विस्तार
नई नीति में एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव है, जो ग्रामीण इलाकों से संबंधित है। आबकारी विभाग ने 211 नई शराब दुकानों के खोलने का प्रस्ताव दिया है। इस निर्णय से ग्रामीण इलाकों में शराब की उपलब्धता बढ़ेगी, और इससे स्थानीय राजस्व में भी वृद्धि हो सकती है।
ग्रामीण इलाकों में शराब की दुकानों की कमी के कारण कई बार लोग अवैध शराब की ओर रुख करते हैं, और इससे न सिर्फ कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है, बल्कि प्रदेश के राजस्व को भी नुकसान होता है।
नई शराब दुकानों के खोले जाने से राज्य सरकार को राजस्व के रूप में बड़ी रकम मिल सकती है, खासकर जब इसका लक्ष्य 16 हजार करोड़ रुपये का है। यह लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2025-26 में निर्धारित किया गया है, और सरकार इसे हासिल करने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।