मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट सिंहस्थ 2028 को साकार करेगी एलएंडटी कंपनी उज्जैन में बनाएगी ओवरब्रिज

शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार और महाकाल मंदिर तक पहुंच को आसान बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने उठाया बड़ा कदम

  • उज्जैन के हरिफाटक ओवरब्रिज को सिक्स-लेन किया जाएगा।
  • एलएंडटी कंपनी द्वारा योजना तैयार की जा रही है।
  • 2028 सिंहस्थ तक उज्जैन में यातायात सुविधा में  बदलाव होगा।

MP News : हाल ही में मध्यप्रदेश में एक दिलचस्प योजना का ऐलान हुआ है। उज्जैन के हरिफाटक ओवरब्रिज को चौड़ा किया जाएगा और इसे सिक्स-लेन सड़क में बदला जाएगा। यह काम देश की नामी कंपनी, लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) द्वारा किया जाएगा, जिन्होंने भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल बनाने में अपनी महारत  साबित की है। इस पुल की लंबाई को बढ़ाने का एक कारण यह भी हो सकता है कि आने वाले समय में इसे महाकाल मंदिर के नीलकंठ द्वार से जोड़ने की योजना बनाई जा रही है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट सिंहस्थ 2028 के लिए इस योजना को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। उनकी विशेष पहल और निर्देशों के बाद, राज्य सरकार ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) को जिम्मेदारी सौंपी है। एमपीआरडीसी ने इस कार्य के लिए एलएंडटी को सर्वे और Detailed Project Report (DPR) बनाने का जिम्मा सौंपा है।

एलएंडटी, जो पहले भी समुद्र पर भारत का सबसे लंबा पुल बनाने का कार्य कर चुकी है, अब उज्जैन में हरिफाटक ओवरब्रिज के चौड़ीकरण पर काम शुरू कर चुकी है। यह पुल मुंबई और नवी मुंबई को जोड़ने वाला भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल बनाने के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर 20 किलोमीटर लंबा पुल भी इसी कंपनी ने बनाया था।

एलएंडटी की टीम पहले ही उज्जैन पहुंच चुकी है और जल्द ही सर्वे कार्य शुरू करेगी। यह प्रक्रिया इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि सरकार की योजना है कि इस ब्रिज को महामृत्युंजय द्वार से जोड़ दिया जाए।

इससे इंदौर से आने वाले वाहन सीधे महाकाल मंदिर के नंदी हॉल तक पहुंच सकेंगे, जिससे मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को आसानी होगी। इस नए पुल के बनने से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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दूसरी तरफ, पुल की लंबाई बढ़ाने की संभावनाएं भी जताई जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, एलएंडटी कंपनी द्वारा किए गए सर्वे से पुल की लंबाई बढ़ाने का खाका तैयार किया जा सकता है। खासकर, यह संभावना है कि ब्रिज को फ्लाईओवर के रूप में विकसित किया जाएगा।

क्या होगा इस पुल के बनने से खास

हरिफाटक ओवरब्रिज का चौड़ीकरण सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं है, बल्कि यह उज्जैन शहर और आसपास के क्षेत्रों के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पुल न केवल उज्जैन के महाकाल मंदिर तक पहुँच को आसान बनाएगा, बल्कि यातायात के दबाव को भी कम करेगा।

इस प्रोजेक्ट की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि इसे 2028 के सिंहस्थ महाकुम्भ के मद्देनजर तेजी से पूरा किया जा रहा है। इस आयोजन के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे, और यदि इस पुल का निर्माण समय पर हो जाता है तो शहर की यातायात व्यवस्था पर दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा।

लएंडटी की विशेषज्ञता

एलएंडटी ने पहले भी बड़े-बड़े पुलों का निर्माण किया है, और यह कंपनी इस परियोजना को सफलतापूर्वक अंजाम देने में सक्षम है। चाहे बात मुंबई-नवी मुंबई के समुद्री पुल की हो या असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए गए पुल की, एलएंडटी का रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा है।

स्मार्ट ट्रैफिक और आधुनिक सुविधाएं

इस योजना में स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम और आधुनिक सुविधाओं की भी योजना बनाई जा रही है। इससे न केवल यातायात की गति बढ़ेगी, बल्कि दुर्घटनाओं के जोखिम को भी कम किया जा सकेगा। इसके अलावा, इस ब्रिज को फ्लाईओवर के रूप में विकसित करने से जंक्शन पर होने वाले ट्रैफिक जाम से भी मुक्ति मिल सकेगी।

यह योजना सिर्फ एक पुल का निर्माण नहीं है, बल्कि इसे एक भविष्य की आवश्यकता के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले समय में इस ब्रिज का महत्व और भी बढ़ेगा, खासकर जब सिंहस्थ 2028 जैसी बड़ी धार्मिक यात्रा होगी।

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