Maha Kumbh 2025 : समाप्त हुआ कुम्भ मेला,जानिए हैरान करने वाले आंकड़े
महाकुंभ की समाप्ति के बाद सामने आए आश्चर्यजनक आंकड़े, जिनसे आप चौंक जाएंगे
- महाकुंभ मेला 45 दिन चला और इस दौरान महाशिवरात्रि के दिन इसका समापन हुआ।
- इस बार मेले में 70 देशों के लोग शामिल हुए और सभी ने इस धार्मिक आयोजन में अपना योगदान दिया।
- इस बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी महाकुंभ को मान्यता दी है, और इसे इतिहास का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन माना है।
Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ के आयोजन ने दुनिया भर में एक खास स्थान बनाया है, और इस बार का महाकुंभ वाकई अद्भुत था। प्रयागराज में स्थित त्रिवेणी संगम पर इस बार करीब 66 करोड़ से ज्यादा लोग पुण्य स्नान करने के लिए आए। वहीं, अगर हम इस मेला की सफलता की बात करें, तो महाकुंभ ने कुछ रिकॉर्ड भी कायम किए हैं, जो शायद पहले कभी नहीं हुए। आइए जानते हैं इस महाकुंभ के बाद सामने आए वो आंकड़े, जिन्हें जानकर आपको भी हैरानी होगी।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से हुआ महाकुंभ
महाकुंभ के इस वर्ष के आयोजन को खास बनाने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि 70 देशों से भक्तों ने इस आयोजन में भाग लिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे ‘विश्व इतिहास में अभूतपूर्व’ और ‘अविस्मरणीय’ आयोजन करार दिया।
इस आयोजन में भारतीय और विदेशी दोनों ही भक्तों ने पुण्य की डुबकी लगाई और भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाया। योगी ने यह भी कहा कि इस बार महाकुंभ में शामिल हुए भक्तों के कारण यह आयोजन और भी ऐतिहासिक बन गया।
महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन हुआ, जब लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में पवित्र स्नान किया। इस दिन का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में भी देखा गया।
सफाई और पर्यावरण संरक्षण पर भी था जोर
इस बार के महाकुंभ में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पर भी खास ध्यान दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद सफाई अभियान को प्रोत्साहित किया। इस बार गंगा की सफाई के लिए 360 से अधिक सफाई कर्मी तैनात किए गए थे, जिन्होंने दिन-रात गंगा नदी के किनारे सफाई का कार्य किया। इतना ही नहीं, महाकुंभ के दौरान गंगा के पानी को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए खास कदम उठाए गए थे।
साथ ही, इस साल सफाई कर्मियों की संख्या 19,000 तक पहुंच गई थी, जो कि 2019 के महाकुंभ में सफाई कर्मियों की संख्या से दोगुनी थी। सफाई कर्मियों की मेहनत को खासतौर पर नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने सराहा और उन्हें असली नायक बताया।
रिकॉर्ड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का जलवा
महाकुंभ में इस बार एक और खास रिकॉर्ड बना। 2019 के मुकाबले इस बार 10,000 मीटर लंबा चित्रकला बनाया गया, जो कि एक नया विश्व रिकॉर्ड बन गया है। पहले यह रिकॉर्ड 7,660 मीटर लंबी चित्रकला से था, लेकिन इस बार इसे काफी बढ़ा दिया गया। कलाकारों ने इस महाकुंभ के दौरान अपने कला कौशल से दुनिया को एक नया नजरिया दिखाया।
संयुक्त मजिस्ट्रेट राजापल्ली जगत साई ने बताया कि इस बार पर्यावरण के अनुकूल रंगों का उपयोग किया गया, ताकि महाकुंभ में भाग लेने वाले भक्तों के अनुभव को और भी सजीव और यादगार बनाया जा सके।
भारत में ही नहीं, विदेशों से भी आए भक्त
इस बार महाकुंभ में आने वाले भक्तों का आंकड़ा बहुत ही शानदार था। 5 करोड़ से ज्यादा भारतीय भक्त तो आए ही, साथ ही 50 लाख से ज्यादा विदेशी भक्त भी इस महाकुंभ में शामिल हुए। अमेरिका, चीन, रूस, और अन्य देशों से भी लोग आए और उन्होंने त्रिवेणी संगम में गंगा स्नान किया।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस बार महाकुंभ में आने के लिए 16,000 से ज्यादा ट्रेनों का आयोजन किया गया था। इन ट्रेनों से लाखों भक्तों को पुण्य स्नान के लिए सुविधा मिली।
महाकुंभ का महत्व न सिर्फ आध्यात्मिक, बल्कि सांस्कृतिक भी
महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है। उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने कहा कि यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक, आध्यात्मिक, और सांस्कृतिक कार्यक्रम है। इसने न सिर्फ भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को अपने धार्मिक महत्व और संस्कृति से परिचित कराया।