Mp Court Decision : प्रमोशन से इनकार करने वाले कर्मचारियों को नहीं मिलेगा ये लाभ जानिए

 मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया, प्रमोशन से मना करने पर सरकारी कर्मचारियों को न समयमान वेतनमान मिलेगा, न क्रमोन्नति का अधिकार होगा। 

  • प्रमोशन से इनकार करने पर नहीं मिलेगा वेतन वृद्धि और पदोन्नति।
  • सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया मापदंड।
  •  राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराया।

Mp Court Decision : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जो सरकारी कर्मचारियों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है। कोर्ट ने साफ किया कि अगर कोई कर्मचारी पदोन्नति (प्रमोशन) लेने से मना करता है,

तो उसे समयमान वेतनमान (Time Scale Pay) और पदोन्नति (Promotion) का कोई लाभ नहीं मिलेगा। ये फैसला 3 मार्च को हाई कोर्ट की फुल बेंच ने सुनाया, जिसमें जस्टिस संजीव सचदेवा, जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस विनय सराफ शामिल थे।

अब, इस फैसले का सीधा असर सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा। इससे पहले, कई कर्मचारियों ने प्रमोशन से इनकार करने के बाद भी वेतन वृद्धि और पदोन्नति की उम्मीद जताई थी। लेकिन अब, इस फैसले के बाद उन कर्मचारियों को यह स्पष्ट हो जाएगा कि प्रमोशन लेने से मना करने पर उन्हें भविष्य में वेतन वृद्धि और क्रमोन्नति का अधिकार नहीं मिलेगा।

इस मामले की शुरुआत इंदौर खंडपीठ से हुई थी, जहां यह सवाल उठा था कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी प्रमोशन से इंकार करता है, तो क्या उसे समयमान वेतनमान और क्रमोन्नति का लाभ मिलना चाहिए। पहले लोकल फंड ऑडिट विभाग के कर्मचारी लोकेन्द्र अग्रवाल के मामले में कोर्ट ने निर्णय दिया था

कि प्रमोशन से मना करने के बावजूद, कर्मचारी को दी गई क्रमोन्नति वापस नहीं ली जा सकती। इसी मामले के आधार पर याचिकाकर्ता रमेशचंद्र पेमनिया ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

Mp Court
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राज्य शासन ने कोर्ट में तर्क रखा कि यदि कोई कर्मचारी खुद अपनी पदोन्नति लेने से मना करता है, तो उसे आगे किसी प्रकार की वेतन वृद्धि या प्रमोशन का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। कोर्ट ने राज्य शासन के इस तर्क को सही मानते हुए फैसला दिया।

लेकिन इस फैसले पर कुछ अधिवक्ताओं की अलग राय भी रही। अधिवक्ता आनंद अग्रवाल ने इसे चुनौती दी है। उनका कहना है कि प्रमोशन और समयमान वेतनमान दो अलग-अलग चीजें हैं, और सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह तय कर चुका है कि इन दोनों में फर्क होता है। उनके मुताबिक, यदि कर्मचारी प्रमोशन से मना करता है, तो उसके समयमान वेतनमान को नहीं रोका जा सकता।

फिर भी, हाई कोर्ट का यह फैसला राज्य कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। अब यह स्पष्ट हो गया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी ने प्रमोशन लेने से मना किया, तो उसे भविष्य में कोई वेतन वृद्धि या पदोन्नति नहीं मिलेगी।

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