Ambedkar Jayanti 2025 : अंबेडकर जयंती पर छूटे 13 कैदी, 3 ने की जेल में ही लाखों की कमाई कर लौटे घर – जानिए कैसे बदली जेल की ज़िंदगी
प्रदेश की अलग-अलग जेलों से 13 कैदियों को रिहा किया गया। और इनमें से 3 बंदी ऐसे निकले जो सिर्फ आज़ाद नहीं हुए – वो लखपति बनकर जेल से बाहर आए।
Ambedkar Jayanti 2025 : सतना हर साल 14 अप्रैल को हम बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े सम्मान और श्रद्धा से मनाते हैं, लेकिन इस साल कुछ अलग हुआ। सतना जिले से आई एक खबर ने ये दिखा दिया कि अगर नीयत साफ हो और रास्ता सही हो, तो जिंदगी की सबसे अंधेरी रात भी सुबह बन सकती है।
मध्य प्रदेश सरकार की पहल पर प्रदेश की अलग-अलग जेलों से 13 कैदियों को रिहा किया गया। और इनमें से 3 बंदी ऐसे निकले जो सिर्फ आज़ाद नहीं हुए – वो लखपति बनकर जेल से बाहर आए।
13 बंदियों कि हुई रिहाई
इन 13 बंदियों में छतरपुर से 6, सतना से 2, पन्ना से 2, और मैहर, छिंदवाड़ा व आगर मालवा से 1-1 बंदी शामिल थे। सभी को उनके अच्छे व्यवहार, अनुशासन और आत्म-सुधार के कारण रिहा किया गया। जेल प्रशासन ने कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर उन्हें समाज में दोबारा सम्मान के साथ जोड़ने की कोशिश की।
कैसे बने ये कैदी लखपति?
अब बात करते हैं उन तीन खास कैदियों की जिनकी मेहनत और लगन ने उन्हें बना दिया लखपति:
1. बिल्लू उर्फ देवीलाल यादव (कैदी क्रमांक: 1.33.352)
जेल में रहते हुए बिल्लू ने बढ़ईगीरी सीखी। उन्होंने लकड़ी से फर्नीचर, खिलौने और अन्य सजावटी सामान बनाए और जेल के कारीगर बाजार में बेचे। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कमाई से ₹1 लाख से ज्यादा जमा कर लिए।
2. अजय उर्फ अप्पू (कैदी क्रमांक: 1.08542)
अजय ने जेल में सिलाई-कढ़ाई का काम सीखा। उन्होंने मास्क, बैग, कुर्ते और शॉल सिलकर अच्छी कमाई की। उनकी कारीगरी की मांग जेल के बाहर भी बढ़ी और इससे उन्होंने बड़ी राशि जोड़ ली।
3. गोरे उर्फ रामकरण यादव (कैदी क्रमांक: 1.05961)
रामकरण ने बागवानी और जैविक खेती में हाथ आज़माया। जेल में उपलब्ध छोटे से खेत में उन्होंने जैविक सब्जियाँ उगाईं और बिक्री से अच्छा पैसा कमाया। उनकी बचत ₹1 लाख पार कर गई।
परिवारों की खुशी – घर लौटे बेटे
जैसे ही ये कैदी अपने-अपने घर पहुंचे, वहां माहौल बिल्कुल बदल गया। किसी की बूढ़ी माँ की आँखों में आँसू थे, तो किसी का बच्चा अपने पिता को पहली बार गले लगा रहा था। सिर्फ ये 13 लोग ही नहीं, उनके पूरे परिवार के लिए ये दिन “नया जन्म” जैसा था।