मुफ्तखोरी बनाम हक़: एमपी मंत्री के बयान से क्यों भड़की बहस
क्या चुनावी वादों ने जनता को ‘मांगने’ का आदी बना दिया है? जानिए विवाद की पूरी कहानी
- एमपी मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा – “लोग अब सरकार से भीख मांगने लगे हैं”
- कांग्रेस ने वीडियो शेयर कर बीजेपी सरकार को घेरा
- फ्री में चीजें देने से समाज मजबूत नहीं, बल्कि कमजोर होता है – पटेल
politics : बयान पर क्यों मचा बवाल? मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल के बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि लोगों को समाज से ही नहीं, बल्कि सरकार से भी मांगने की आदत पड़ गई है। उनका इशारा उन चुनावी वादों की तरफ था, जिनमें पार्टियां जनता को मुफ्त सुविधाओं का लालच देती हैं।
पटेल ने यह बयान मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में रानी अवंतीबाई लोधी की प्रतिमा के अनावरण के दौरान दिया। उन्होंने कहा, “जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया, उन्होंने ऐसा इसलिए नहीं किया कि हम सिर्फ मांगते रहें। हमें खुद को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बढ़ना चाहिए।”
क्या मुफ्त चीजों से समाज कमजोर होता है?
पटेल का कहना है कि जब भी कोई नेता जनता के बीच जाता है, उसे एक लंबी मांगों की सूची पकड़ा दी जाती है। उन्होंने मंच से कहा, “नेता को माला पहनाने के बाद तुरंत मांगों की लिस्ट थमा दी जाती है। यह आदत हमें छोड़नी होगी।” उनका तर्क था कि फ्रीबीज पर निर्भरता समाज को कमजोर बनाती है, जबकि आत्मनिर्भरता से देश आगे बढ़ता है।
जनता हक मांग रही है, भीख नहीं’ – विपक्ष का पलटवार
पटेल के इस बयान पर कांग्रेस ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पार्टी ने उनका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जनता अपने हक की मांग कर रही है, न कि भीख। उनका तर्क है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह जनता को बुनियादी सुविधाएं दे।
https://twitter.com/INCMP/status/1896104914524508328
फ्रीबीज की राजनीति
चुनावी घोषणाओं में मुफ्त सुविधाएं देना आम बात हो गई है। कुछ लोग इसे गरीबों के लिए जरूरी कदम मानते हैं, तो कुछ इसे समाज को कमजोर बनाने वाली नीति बताते हैं। पटेल के बयान ने इस बहस को और तेज कर दिया है। बीजेपी इसे आत्मनिर्भरता से जोड़ रही है, जबकि विपक्ष इसे जनता के अधिकारों की अनदेखी बता रहा है। आखिर, मुफ्त योजनाएं जरूरतमंदों की मदद हैं या जनता को ‘मांगने’ का आदी बना रही हैं? इस सवाल पर बहस जारी है।
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