Siyaram baba news: नर्मदा तट पर संत श्री सियाराम बाबा का देवलोक गमन, श्रद्धालुओं का सैलाब, मुख्यमंत्री ने जताया शोक

उनके प्रवचन, उपदेश और उपासना के तरीके हमेशा उनकी यादों में जीवित रहेंगे। उनके माध्यम से लाखों लोग मानसिक शांति, संतुलन और जीवन में सकारात्मकता की ओर बढ़े।

Siyaram baba news: देश के प्रसिद्ध और संत श्री सियाराम बाबा का देवलोक गमन नर्मदा तट स्थित भट्यान आश्रम में हुआ। यह घटना बुधवार सुबह करीब साढ़े छह बजे घटी, जब बाबा ने ग्यारस के दिन शरीर का त्याग किया।

बाबा के निधन के साथ ही उनके लाखों भक्तों और अनुयायियों के दिलों में गहरा शोक व्याप्त हो गया। बाबा के स्वास्थ्य के खराब होने की खबर पिछले कुछ दिनों से थी, और उनकी देखभाल के लिए सरकार ने डॉक्टरों की टीम तैनात की थी, लेकिन फिर भी उनका स्वास्थ्य बेहतर नहीं हो सका।

संत श्री सियाराम बाबा का जीवन

संत श्री सियाराम बाबा का जीवन साधना, तपस्या और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने अपने जीवन को समाज की सेवा, मानवता की भलाई और भक्ति में समर्पित किया। नर्मदा तट पर स्थित उनका आश्रम एक पवित्र स्थल था, जहां न केवल धार्मिक अनुष्ठान होते थे, बल्कि संत बाबा के विचार और उपदेशों ने लाखों लोगों को आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित किया। उनके द्वारा दी जाने वाली उपदेशों में शांति, प्रेम और सद्भावना का संदेश प्रमुख था।

Siyaram baba
Siyaram baba

बाबा का जीवन किसी साधक से कम नहीं था। उन्होंने खुद को पूरी तरह से साधना और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनका उद्देश्य था कि वह अपने जीवन में अधिक से अधिक लोगों को साधना और ध्यान की ओर प्रेरित करें ताकि समाज में शांति और संतुलन कायम हो सके। उनका नाम भारत भर में प्रसिद्ध था, और उनका आश्रम सैकड़ों किलोमीटर दूर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता था।

श्री सियाराम बाबा की तबियत खराब थी

संत श्री सियाराम बाबा के स्वास्थ्य में गिरावट आने की खबर कुछ दिन पहले आई थी। पिछले कुछ दिनों से बाबा की तबियत में लगातार गिरावट आ रही थी। बाबा के स्वास्थ्य के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर न केवल स्थानीय डॉक्टरों की टीम, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की 24 घंटे की विशेष टीम भी तैनात की गई थी। प्रशासन ने उनकी देखरेख के लिए सभी प्रयास किए, लेकिन बाबाजी का स्वास्थ्य सुधारने में कोई सफलता नहीं मिली।

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संत बाबा के निधन के बाद उनके भक्तों में भारी आक्रोश और शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर कोई यह महसूस कर रहा था कि उनके जीवन का यह युग समाप्त हो गया है।

संत बाबा का देवलोक गमन

संत श्री सियाराम बाबा का देवलोक गमन नर्मदा तट के भट्यान आश्रम में हुआ। सुबह के साढ़े छह बजे बाबा ने ग्यारस के दिन शरीर त्याग दिया। ग्यारस का दिन विशेष रूप से पुण्यकारी माना जाता है, और यह संत बाबा की साधना और भक्ति का प्रतीक बन गया। उनका देवलोक गमन उनके भक्तों के लिए एक अपूरणीय क्षति साबित हुआ।

बाबा के निधन की खबर फैलते ही भक्तों का हुजूम भट्यान आश्रम की ओर उमड़ पड़ा। भक्त बाबा के अंतिम दर्शन के लिए आश्रम में पहुंचे और उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया। कई श्रद्धालु बाबा की शिक्षाओं को याद करते हुए अश्रुपूरित आँखों से प्रार्थना कर रहे थे।

अंतिम दर्शन के लिए एकजुट लोग

बाबा के निधन की खबर फैलते ही हजारों श्रद्धालु आश्रम में जमा हो गए। यह दृश्य सचमुच भावनाओं से ओत-प्रोत था। भक्तों का विश्वास था कि बाबा के दर्शन से उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी। जैसे ही बाबा के निधन का समाचार सुनकर श्रद्धालुओं ने एकजुट होकर आश्रम में प्रवेश किया, वहां की वातावरण में श्रद्धा, आस्था और भक्ति की गूंज सुनाई दे रही थी। भक्तों की आंखों में आंसू थे, लेकिन उनके दिलों में बाबा की आशीर्वाद और उपदेशों का आभार था।

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का शोक संदेश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने संत श्री सियाराम बाबा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उन्हें समाज और धर्म के प्रति उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि संत बाबा का जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उनके कार्यों और शिक्षाओं को आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि बाबा का योगदान समाज की सेवा, मानवता और शांति के क्षेत्र में अतुलनीय है।

बाबा के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा

संत श्री सियाराम बाबा का जीवन समाज और धर्म के क्षेत्र में अनमोल योगदान का प्रतीक था। उनके द्वारा किए गए कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने अपनी साधना और भक्ति से न केवल अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन किया, बल्कि समाज में एकता और शांति का संदेश दिया। संत बाबा की शिक्षाओं का पालन करते हुए कई लोगों ने अपने जीवन में बदलाव किया।

 

 

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