साल 2022 में MP High Court ने लिए बड़े फैसले जो बन गये मिशल,आप भी जानिये

MP High Court मध्य प्रदेश जबलपुर हाईकोर्ट आदेश और फैसलों के लिए जाने जाते हैं साल 2022 में ऐसे कई मामले आए जिनमें हाईकोर्ट ने आदेश और फिर फैसले दिए मगर कुछ ऐसे फैसले भी हो जाते हैं जो अपने आप में ही मिसाल बन जाते हैं ऐसे ही कुछ फैसले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट Madhya Pradesh High Court ने लिए जो मिसाल बन गए आइए आपको बताते हैं क्या है वह फैसले

साल 2022 में MP High Court ने लिए बड़े फैसले जो बन गये मिशल,आप भी जानिये

1. एमपीपीएससी परीक्षा 2019 का मामला

एमपीपीएससी परीक्षा 2019 का मामला भी एक उदाहरण बन गया मामले में आवेदक और सरकार दोनों हाईकोर्ट पहुंचे हाईकोर्ट ने परीक्षार्थियों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग 2019 की पूरी परीक्षा को निरस्त करना उचित नही  इसके साथ ही पीएससी परीक्षा में आरक्षित वर्ग के उन उम्मीदवारों के लिए विशेष मुख्य परीक्षा आयोजित कर जिन्हें अनारक्षित वर्ग के लिए कटऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए हैं

Madhya Pradesh High Court ने यह भी कहा कि भर्ती परीक्षा नियम 2015 में विशेष मुख्य परीक्षा परिणामों के आधार पर उम्मीदवारों के लिए साक्षात्कार की नई सूची तैयार करें हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी को फटकार लगाते हुए कहा कि इसके लिए प्रक्रिया अपनाएं जो पूर्व की परीक्षाओं में अपनाई जाती है जस्टिस नंदिनी दुबे की कोर्ट में एमपीपीएससी के 7 अप्रैल 2022 को दिए आदेश को रद्द कर दीया और एमपीपीएससी 2019 की मुख्य परीक्षा परिणाम को निरस्त कर नए सिरे से परीक्षा करने को कहा गया था कोर्ट ने इस फैसले से आरक्षित वर्ग के सैकड़ों विद्यार्थियों को बड़ी राहत

2. लव जिहाद को लेकर लिया फैसला

लव जिहाद को लेकर लिया फैसला मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court)ने साल 2022 में लव जिहाद को लेकर बने कानून पर बड़ा बवाल मच रहा था मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस कानून का खूब जोर शोर से प्रचार किया पहले भी सरकार की मंशा पर तमाम सवाल उठने लगे थे लेकिन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एक अंतरिम आदेश में सचमुच कानूनी व्यवस्था की धरा पर लगा दिया हाईकोर्ट ने शिवराज सरकार द्वारा लागू मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी

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यह अंतरजाति और अंतरधर्म  पर कानूनी कार्यवाही  की मांग से जुड़ा हुआ मामला था अधिनियम की धारा 10 को असंवैधानिक घोषणा करने की मांग की गई थी इस धारा के अंतर्गत अंतरजाती है अंतरधर्म विवाह के लिए कलेक्टर के पास 60 दिन पहले आवेदन देने का प्रावधान किया गया था श्री जस्टिस जयपाल और जस्टिस पीसी गुप्ता की डिवीजन बेंच ने अपने अंतरिम फैसले में धारा 10 के उल्लंघन पर कार्यवाही की रोक लगा दी अदालत ने इस फैसले को अब लव जिहाद के नाम पर अपना राजनीतिक न केरे

3 .सीएम की छवि को भी लगा झटका

विगत कुछ दिनों से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नायक फिल्म के अवतार में दिख रहे थे, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भरे मंच से अधिकारियों और कर्मचारियों को सस्पेंड करने की घोषणा कर देते थे, इसी छवि में हाईकोर्ट के आदेश से उनको झटका लगा है दरअसल हुआ यह था

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MP High Court जबलपुर बेंच ने 9 दिसंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छिंदवाड़ा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को मंच से ही निलंबन करने के आदेश दिया था, जबलपुर हाईकोर्ट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया हाई कोर्ट हाईकोर्ट के इस आदेश से शिवराज सरकार की बड़ी किरकिरी हो रही है

4.दूसरी बार फांसी की सजा रद्द करना

साल 2022 में जबलपुर हाईकोर्ट MP High Court में एक मामला सामने आया था जहां पर हत्या के आरोपी की कोर्ट ने दूसरी बार फांसी की सजा को रद्द कर दी थी अपर जिला सत्र न्यायाधीश सिंगरौली ने आरोपी रामजग बिंद को वृद्ध दंपत्ति की हत्या के मामले में दोहरे हत्याकांड की सजा से दंडित किया था जबलपुर हाईकोर्ट के जस्टिस पीसी गुप्ता और विजयपाल की युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा कि परिस्थिति जनक साक्षी उत्तम गुणवत्ता के होने चाहिए

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MP High Court अभियोजन पक्ष स्पष्ट व परिस्थिति जनक साक्ष्य की श्रंखला प्रस्तुत नहीं कर पाया अनुमानों के आधार पर आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता इसके साथ साथ सरकार की तरफ से Madhya Pradesh High Court को यह भी बताया गया था कि आरोपी ने साल दो हजार उन्नीस सौ 97 में एक महिला सहित पांच व्यक्तियों की हत्या की थी जिसे जिला न्यायालय ने उसे मृत्युदंड की सजा से दंडित किया था बाद में उसे माननीय हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया था उसके ऊपर दोहरी हत्या के आरोप तब लगे जब वह 2000 14 में पैरोल पर छूटा था

5 .सेक्स और बलात्कार का मामला

सेक्स और बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) ने साल 2022 में कहा कि सहमति से किए गए सेक्स को बलात्कार मानने से इनकार कर दिया जाता है न्यायालय में विवाहित शिक्षिका द्वारा एक व्यक्ति पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का आरोप लगाने की एफ आई आर दर्ज करने का आदेश दिया Madhya Pradesh High Court ने याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार के आरोप को हटाने का आदेश देते हुए कहा कि आरोपी महिला के साथ सहमति से यौन संबंध बनाए थे जिससे उसकी ओर से शादी का आश्वासन शामिल नहीं था

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दरअसल हुआ यह था कि महाराष्ट्र वर्धा निवासी कुणाल हरीश वासनिक पर छिंदवाड़ा निवासी महिला शिक्षिका ने शादी का झांसा देकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसने महिला को शादी का आश्वासन देने का कोई सवाल नहीं किया था क्योंकि दोनों पहले से शादीशुदा थे इतना ही नहीं महिला उससे उम्र में भी बड़ी थी और दोनों अलग-अलग जातियों के भी हैं news sours-एडवोकेट mp हाई कोर्ट

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