किसानो को सलाह : शीतलहर और पाले से फसलों की सुरक्षा के 10 शानदार उपाय
उप संचालक किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को शीतलहर और पाले से बचाव के लिए समसामयिक सलाह दी गई है।
Protection of crops cloud in india : भारत के विभिन्न हिस्सों में दिसंबर से जनवरी तक शीतलहर और अधिक ठंड का असर देखने को मिलता है। जो फसलों के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है। जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। विशेष रूप से ठंडे और शुष्क मौसम में पाला लगने का खतरा बढ़ जाता है।
पाला फसलों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन अब चिंता की बात नही है।उप संचालक किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग द्वारा किसानों को शीतलहर और पाले से बचाव के लिए समसामयिक सलाह दी गई है।जिसका पालन करके किसान अपनी फसलों को पाले से बचा सकते हैं और अधिक उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं।
इस में हम शीतलहर और पाले से बचाव के लिए महत्वपूर्ण उपायों की चर्चा करेंगे।जो किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकते हैं। और इसे किसने की फसल भी खराब नहीं होगी।और किसानों को किसी प्रकार के नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा।
रात्रि में सिंचाई करें
रात्रि में सिंचाई करना पाले से बचाव का एक प्रभावी तरीका है। शीतलहर के समय, विशेष रूप से रात के समय तापमान बहुत गिर सकता है। जिससे पाले का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में, यदि किसान दिन में 10 बजे से पहले सिंचाई करते हैं, तो इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
सिंचाई से हवा में पानी की वाष्प अधिक होती है, जो रात के समय तापमान को अधिक गिरने से रोकती है और पाले का प्रभाव कम होता है।लेकिन रात्रि के दूसरे और तीसरे पहर में सिंचाई करने से बचना चाहिए। क्योंकि इससे पाला और अधिक बढ़ सकता है। इसलिए दिन में सही समय पर सिंचाई करना पाले से बचाव में मददगार होता है।
घुलनशील गंधक (Sulfur) का छिड़काव
पाले से बचाव के लिए एक और महत्वपूर्ण उपाय है फसलों में घुलनशील गंधक (Sulfur) का छिड़काव करना। कृषि विभाग की सलाह के अनुसार, घुलनशील गंधक 80% डब्ल्यूपी का 2 से 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर, प्रति एकड़ के हिसाब से फसलों पर छिड़काव करना चाहिए।
इस घोल से तापमान में 2 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि होती है।जिससे पाला से फसलों को काफी हद तक बचाया जा सकता है।यह उपाय विशेष रूप से वे फसलें जिनमें पाला का खतरा अधिक होता है। जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्च, फूलगोभी आदि, उनके लिए उपयोगी है।
थायो यूरिया का उपयोग करें
थायो यूरिया का छिड़काव पाले से बचाव के लिए एक और कारगर उपाय है। थायो यूरिया का 0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर फसलों पर छिड़काव करने से पाले का असर कम होता है। यह विशेष रूप से उन फसलों के लिए उपयोगी है
जो सर्दी में पाले से प्रभावित होती हैं, जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, मसूर, अरहर आदि। छिड़काव के दौरान पानी की मात्रा प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर रखें। ताकि घोल पूरी तरह से फसलों तक पहुंचे और पाले से बचाव हो सके।
नर्सरी की रक्षा के उपाय
नर्सरी में पौधे बहुत ही संवेदनशील होते हैं। और पाले का असर इन पर सबसे अधिक होता है। रात्रि के समय नर्सरी में लगे पौधों को बचाने के लिए प्लास्टिक की चादर से ढकना सबसे प्रभावी उपाय है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है।
जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंचता है और पौधे पाले से बच जाते हैं।यह उपाय विशेष रूप से छोटे खेतों और सीमित क्षेत्र में नर्सरी लगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी साबित होता है।
फलदार पौधों की सुरक्षा
जो किसान अपने खेतों में एक से दो वर्ष पुराने फलदार पौधों का रोपण कर चुके हैं, उनके लिए भी पाले से बचाव आवश्यक है। फलदार पौधों को ठंड से बचाने के लिए पुआल, घास-फूस, या प्लास्टिक का उपयोग किया जा सकता है।
प्लास्टिक से क्लोच या टाटिया बनाकर पौधों को ढकने से तापमान बढ़ता है और पाले का प्रभाव कम होता है। इसके अलावा, पानी की सिंचाई को भी नियमित रूप से करना चाहिए, ताकि मृदा में नमी बनी रहे और पौधों को ठंड से बचाया जा सके।
पशुओं और बकरियों की सुरक्षा
ठंड के मौसम में पशुओं और बकरियों को भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। रात के समय, बकरियों को घरों के अंदर रखना चाहिए। और उन्हें ठंड से बचाने के लिए जूट या बोरे की चादर ओढ़ानी चाहिए।
इसके अलावा, घरों के चारों ओर पॉलीथिन या टाट-पट्टी से बांधकर ठंडी हवाओं से बचाया जा सकता है।इसके अलावा, मुर्गियों के लिए भी घर के चारों ओर सुरक्षा प्रदान करने के लिए पॉलीथिन का उपयोग किया जा सकता है।
धुंआ जलाने का तरीका
यदि किसी किसान के पास छोटे खेत हैं।और अधिक क्षेत्र में धुंआ फैलाने का तरीका अपनाना चाहते हैं, तो वे मेड़ों के ऊपर उत्तर और पश्चिम की दिशा में घास-फूस आदि को गीला करके जलाकर धुंआ कर सकते हैं।
इससे खेत में ठंडी हवा का प्रवेश कम होता है और फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।यह उपाय विशेष रूप से छोटे किसान या सीमित क्षेत्र वाले किसानों के लिए उपयुक्त है।
मल्चिंग और सिंचाई
पाले से बचाव के लिए मल्चिंग का भी उपयोग किया जा सकता है। विशेष रूप से उन फसलों में, जिन्हें पाले से ज्यादा खतरा है।जैसे धनिया, पालक आदि को जायदा खतरा होता है। उनके चारों ओर मल्चिंग करके ठंड को कम किया जा सकता है। मल्चिंग से मिट्टी में नमी बनी रहती है।और तापमान गिरने की संभावना कम होती है। इसके साथ ही, सिंचाई को भी नियमित रूप से जारी रखना चाहिए, ताकि फसलों की सुरक्षा हो सके।
शीतलहर की भविष्यवाणी और तैयारी
शीतलहर और पाले के बारे में पूर्वानुमान के अनुसार तैयारी करना हमेशा फायदेमंद होता है। मौसम विभाग की चेतावनियों पर ध्यान दें और इस दौरान विशेष उपायों को अपनाएं। समय रहते हुए पाले से बचाव की तैयारी करने से फसलों पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा और नुकसान कम होगा।
सही समय पर फसल कटाई
फसलों को पाले के मौसम से पहले सही समय पर काटना भी एक अच्छा उपाय हो सकता है। खासकर यदि फसलें तैयार हो चुकी हैं और पाले का खतरा अधिक है, तो किसानों को फसल कटाई में देरी नहीं करनी चाहिए। समय पर कटाई करने से फसलें पाले के प्रभाव से बच सकती हैं।
मेरा नाम राहुल श्रीवास्तव है मैं नरसिंहपुर जिले से हूं ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद कुछ समय मैं अखबारों में कंप्यूटर ऑपरेटर के साथ-साथ समाचार लेखन का काम भी किया और अब तांडव मीडिया में समाचार लेखन का काम की नई शुरुआत कर रहा हूं मेरे द्वारा लिखे गए कंटेंट पूर्णता सत्य होंगे और आपको यह कंटेंट अच्छे लगेंगे।