Mp News: सीएमओ प्रदीप शर्मा पर स्याही फेंकने और दलित कर्मचारी के अपमान के मामले में एससी-एसटी एक्ट सहित कई धाराओं में केस, जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस की सख्त कार्रवाई।

  • CMO के मुंह पर कालिख पोतने वाले दो लोगों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज
  • घटना के पीछे धार्मिक झंडा हटाने का विरोध बताया जा रहा है
  • दलित कर्मचारी को लेकर की गई जातिसूचक टिप्पणी ने मामला और बिगाड़ा

Mp News: दमोह जिले में जो कुछ हुआ, उसने पूरे प्रदेश में बवाल मचा दिया है। नगर पालिका के मुख्य अधिकारी यानी CMO प्रदीप शर्मा के मुंह पर स्याही फेंकी गई। लेकिन ये महज किसी एक अफसर का अपमान नहीं था, ये मामला सीधे प्रशासन, राजनीति और सामाजिक ताने-बाने से जुड़ गया।

क्या है पूरा मामला

यह घटना 29 मार्च की है। जब नगर पालिका की टीम धार्मिक ध्वज को हटाने गई, तो वहां विरोध शुरू हो गया। भाजपा के पूर्व पार्षद विवेक अग्रवाल और हिंदू संगठन से जुड़े छुट्टू यादव ने इसका कड़ा विरोध किया। मामला इतना बढ़ा कि ये दोनों आरोपी सीधे CMO के घर पहुंच गए और उनके चेहरे पर कालिख पोत दी।

आरोप है कि इन लोगों ने एक दलित कर्मचारी, जितेंद्र बंसल, के साथ भी अभद्र भाषा में बात की और जातिसूचक टिप्पणियां कीं। यही वजह है कि पुलिस ने इस केस को सामान्य मारपीट या विरोध प्रदर्शन की तरह नहीं देखा, बल्कि इसमें SC/ST एक्ट की धाराएं भी जोड़ दी गईं।

एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई

जैसे ही मामला बढ़ा, CMO प्रदीप शर्मा ने पुलिस में शिकायत दी। एसपी श्रुत कीर्ति सोमवंशी के निर्देश पर तुरंत एफआईआर दर्ज की गई। आरोपियों पर IPC की कई धाराओं के साथ एससी-एसटी एक्ट की गंभीर धाराएं भी लगाई गई हैं।

आरोपियों के नाम: विवेक अग्रवाल और छुट्टू यादव
केस दर्ज: जानबूझकर अपमान, मारपीट, धमकी, और जातिगत टिप्पणी
थाना कोतवाली, दमोह

इसके अलावा कलेक्टर सुधीर कोचर ने इस मामले की जांच के लिए ADM मीना मसराम की अगुवाई में टीम गठित की। 11 अप्रैल को इस टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई।

पूरे प्रदेश में नगरीय प्रशासन से जुड़े अफसरों में नाराज़गी है। सागर संभाग के संयुक्त संचालक खुद दमोह पहुंचे और बाकी अधिकारियों के साथ मिलकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

CMO और इंजीनियरों के संगठन ने साफ कहा है कि यदि ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में कोई भी अधिकारी फील्ड में सुरक्षित महसूस नहीं करेगा।

धरना, प्रदर्शन

घटना के बाद दमोह की सड़कों पर तनाव देखने को मिला। भाजपा और हिंदू संगठनों ने नगर पालिका के इस कदम को “धार्मिक भावनाओं के खिलाफ” बताया। उन्होंने प्रदर्शन किया, चक्काजाम किया और मांग की कि CMO को तुरंत सस्पेंड किया जाए।

हिंदूवादी संगठनों के कुछ नेताओं ने यहां तक कहा कि, “जो हिंदू धर्म का विरोध करेगा, उसके साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा।

ध्वज हटाने की असल वजह क्या थी

यह जानना जरूरी है कि आखिर ध्वज हटाने की नौबत क्यों आई? नगर पालिका की ओर से सफाई दी गई कि ध्वज धार्मिक स्थल पर नहीं बल्कि सार्वजनिक संपत्ति पर था, जिसे नियमों के तहत हटाया जा रहा था। लेकिन स्थानीय लोगों ने इसे आस्था से जोड़ लिया, और विरोध की चिंगारी यहीं से भड़की।

Related Articles