नगर निगम के निलंबित अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी खुली करोड़ों की संपत्ति का राज

इंदौर नगर निगम के निलंबित राजस्व अधिकारी राजेश परमार के घर और उनकी संपत्तियों पर EOW की छापेमारी, खुलासा हुआ करोड़ों की बेनामी संपत्ति का।

  • नगर निगम के निलंबित अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी
  • आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच जारी
  • ईओडब्ल्यू की टीम ने दो दर्जन से अधिक अधिकारियों के साथ की कार्रवाई

EOW Raid : इंदौर नगर निगम के निलंबित राजस्व अधिकारी राजेश परमार की संपत्तियों में घपले का मामला सामने आया है, जिससे शहर में हड़कंप मच गया। शुक्रवार की सुबह आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की टीम ने उनके घर और अन्य ठिकानों पर छापे मारे।

EOW की टीम द्वारा की गई इस कार्रवाई से पता चला कि राजेश परमार के पास करोड़ों की संपत्ति है, जो उनकी आय से कहीं ज्यादा है। उनकी संपत्ति और वित्तीय लेन-देन पर गहरी जांच की जा रही है, और अधिकारियों को यह आशंका है कि आने वाले समय में और भी संपत्तियों का खुलासा हो सकता है।

बेनामी संपत्तियों का मामला

राजेश परमार की संपत्तियों की जांच के दौरान यह सामने आया कि उन्होंने काफी समय पहले एक मकान 25 लाख रुपये में खरीदा था, और बाद में उस पर आलीशान बंगला बना लिया। इसके अलावा, उनकी संपत्ति के बारे में जानकारी मिली है कि एक मकान में उनके माता-पिता रहते हैं, जबकि दूसरे मकान में उनकी पूर्व पत्नी का निवास है।

शुरुआती जांच में क्या मिला

EOW के एसपी आरएस यादव के अनुसार, राजेश परमार के बारे में जानकारी मिली है कि वह शुरुआत में बेलदार के पद पर काम कर रहे थे और धीरे-धीरे प्रमोशन होते हुए सहायक राजस्व अधिकारी (ARO) तक पहुंचे। लेकिन हाल ही में वित्तीय अनियमितताओं के कारण उन्हें निलंबित किया गया था।

उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया है। इस समय EOW की टीम ने तीन जगहों पर एक साथ कार्रवाई की है, जिसमें उनके घर के अलावा बिजलपुर और कनाड़िया इलाके के अन्य दो ठिकानों पर भी जांच की जा रही है।

कौन है राजेश परमार

जानकारी के अनुसार शुरुआत में राजेश परमार ने बेलदार के पद से अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन धीरे-धीरे अपने काम में काले धंधों का खेल भी करना शुरू कर दिया। वह जोन 8 में एआरओ के पद पर रहते हुए नगर निगम के खातों में गड़बड़ी कर चुके थे।

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यहां तक कि उन्होंने बगैर अनुमति के पांच बार विदेश यात्रा की और नगर निगम को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा, उन्होंने नए खाते खोलकर निगम के नाम पर राशि जमा की और उसे हड़पने की कोशिश की।

सस्पेंड होने के बाद भी नहीं सुधरे

राजेश परमार को पहली बार सस्पेंड होने का कारण भी किसी और गड़बड़ी से जुड़ा था। जब वह जोन 8 में एआरओ थे, तो उन्होंने तत्कालीन अपर आयुक्त एसके चैतन्य के खिलाफ नारेबाजी की थी। इसके बाद, उन्हें निलंबित कर दिया गया था। परमार का यह विवाद थमा नहीं था, और दूसरी बार भी वह सस्पेंड हुए जब संपत्ति कर की गड़बड़ी सामने आई। निगमायुक्त शिवम वर्मा ने जब वसूली की समीक्षा की तो राजेश परमार की गलतियों का पर्दाफाश हुआ और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।

छापे के दौरान अहम दस्तावेज भी बरामद

ईओडब्ल्यू की छापेमारी के दौरान राजेश परमार के आवास कॉलोनी स्थित बंगले पर भारी संख्या में पुलिस तैनात थी। घर के भीतर किसी को भी घुसने की अनुमति नहीं दी गई, और न ही घर में मौजूद सदस्य बाहर जा सके। पूरे परिसर को सील कर दिया गया था ताकि कोई दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ न कर सके। यह कार्रवाई कई घंटों तक चलती रही, और इस दौरान टीम ने कई अहम दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

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