Wheat Export Scheme : मध्यप्रदेश के किसानों को मिलेगा गेहूं के निर्यात का सुनहरा मौका: जानिए योजना की पूरी जानकारी
- गेहूं के निर्यात की बढ़ती मांग
- सॉर्टेक्स क्लीन प्लांट का महत्व
- मंडी बोर्ड की योजना और किसान को फायदा
- वैश्विक बाजार में भारत का गेहूं
Wheat Export Scheme : मध्यप्रदेश के किसान अब न केवल देश के बाजारों में बल्कि सीधे विदेशों में भी अपना गेहूं बेच सकेंगे। इस दिशा में मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड एक नई और महत्वपूर्ण योजना पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य प्रदेश के गेहूं को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाने और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाना है। इस योजना से न केवल किसानों को फायदा होगा, बल्कि प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी नया मोड़ मिलेगा।
गेहूं के निर्यात की बढ़ती मांग
भारत में गेहूं का उत्पादन बहुत अधिक होता है, लेकिन हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से वैश्विक बाजार में गेहूं की मांग में बढ़ोतरी हुई है। खासकर मध्यप्रदेश के गेहूं की मांग कई देशों में बढ़ी है, क्योंकि इसकी गुणवत्ता और उत्पादन की विशेषताएं अन्य देशों से बेहतर मानी जाती हैं।
मालवा क्षेत्र का लोकवन गेहूं विशेष रूप से विदेशों में लोकप्रिय है। यह गेहूं न केवल स्वाद और पोषण में बेहतरीन होता है, बल्कि इसके दाने भी सुंदर और स्वस्थ होते हैं, जो इसे वैश्विक बाजार में एक मजबूत प्रतिस्पर्धी बनाता है।
सॉर्टेक्स क्लीन प्लांट का महत्व
इस योजना का मुख्य हिस्सा सॉर्टेक्स क्लीन प्लांट का निर्माण है, जिसे प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में स्थापित किया जाएगा। इन प्लांटों का उद्देश्य गेहूं की उच्च गुणवत्ता की ग्रेडिंग करना है, जिससे किसानों को अपने उत्पाद का सही मूल्य मिल सके। वर्तमान में सॉर्टेक्स क्लीन प्लांट केवल निजी क्षेत्र में ही उपलब्ध हैं, और इनका उपयोग किसान नहीं कर पाते। लेकिन राज्य सरकार का यह कदम किसानों को इन अत्याधुनिक प्लांटों का उपयोग करने का मौका देगा।
सॉर्टेक्स क्लीन प्लांट गेहूं के दानों को सही तरीके से छानने और उनकी गुणवत्ता की पहचान करने में मदद करते हैं। इनमें गेहूं को तीन श्रेणियों – फर्स्ट, सेकंड और थर्ड क्वालिटी में विभाजित किया जाता है। सबसे उच्च गुणवत्ता वाले गेहूं को फर्स्ट क्लास माना जाता है, जिसे विदेशों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। यह प्लांट गेहूं की ग्रेडिंग के अलावा उसे साफ भी करते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता और भी बेहतर हो जाती है।
मंडी बोर्ड की योजना और किसान को फायदा
राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) के तहत किसानों को विदेशों में गेहूं बेचने के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को मध्यस्थों से बचाना और उन्हें सीधे वैश्विक बाजारों तक पहुंच प्रदान करना है। इसके साथ ही, किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम मिल सकेंगे, क्योंकि वे अपने उत्पाद को सीधे विदेशों में भेज सकेंगे।
इन सॉर्टेक्स क्लीन प्लांट्स के जरिए गेहूं की गुणवत्ता बेहतर होगी, जिससे विदेशों में निर्यात के लिए इसकी स्वीकृति अधिक होगी। साथ ही, इन सुविधाओं के चलते किसानों को अपने गेहूं को सही तरीके से ग्रेडिंग करने और उस पर अच्छे दाम प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
सरकार की योजना के तहत उठाए गए कदम
प्रदेश सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में, 1 जनवरी 2025 से मध्यप्रदेश की 83 प्रमुख मंडियों को हाईटेक बना दिया गया है। इन मंडियों में अत्याधुनिक सुविधाएं और उपकरण उपलब्ध होंगे, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी होगी।
इसके अलावा, राज्य सरकार की योजना है कि 1 अप्रैल 2025 तक राज्य की सभी 259 मंडियों को हाईटेक किया जाए, जिससे पूरे प्रदेश में कृषि विपणन की प्रक्रिया को और भी सरल और पारदर्शी बनाया जा सके।
इसके अलावा, किसानों के जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार ने कृषि उपज के भुगतान में पारदर्शिता लाने के लिए सुरक्षा राशि को बढ़ाने का भी फैसला लिया है। इसके तहत, किसानों को उनके भुगतान उसी दिन किया जाएगा। दो लाख रुपये तक के भुगतान नकद दिए जाएंगे, जबकि इससे अधिक की राशि का भुगतान आरटीजीएस के माध्यम से किया जाएगा।
वैश्विक बाजार में भारत का गेहूं
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से वैश्विक गेहूं बाजार में एक नया संकट पैदा हो गया था, जिससे कई देशों को गेहूं की कमी का सामना करना पड़ा। इस स्थिति का फायदा भारत ने उठाया, और भारतीय गेहूं की मांग कई देशों में बढ़ी। मध्यप्रदेश का गेहूं, विशेष रूप से लोकवन, बहुत अच्छे दामों पर विदेशों में बिकता है। सरकार की योजना है कि इस अवसर का अधिकतम लाभ किसानों को मिले और उन्हें सीधे अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच प्रदान की जाए।