Union Carbide Waste : यूनियन कार्बाइड कचरे को लेकर हाई कोर्ट का आदेश, तीन चरणों में होगी टेस्टिंग
- युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा
- 10 टन कचरे को जलाया गया
- सरकार कर रही निर्देश का इंतजार
Union Carbide Waste : हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार तथा विवेक जैन की युगल पीठ यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने की टेस्टिंग तीन चरणों में करने के निर्देश जारी किए गए हैं। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है की टेस्टिंग रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को भेजी जाएगी ।रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
कि कचरे को कितनी मात्रा में और कितने समय अंतराल में नष्ट किया जाए ।मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पीथमपुर में निपटान किए जाने वाले यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे पर जरूरी निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि तीन चरणों में पहले टेस्टिंग की जाए। फिर कोई निर्णय लिया जाएगा 27 फरवरी से टेस्टिंग की प्रिया प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
तीन चरणों में टेस्टिंग के आदेश दिए गए
भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का कचरा निपटान एक बड़ी चुनौती बन गई है। पीथमपुर में इस जहरीले कचरे का निपटान जल्दी ही किया जाना है। कचरा वाहन तक पहुंचा जा चुका है। इसे लेकर लगातार विरोध भी किया जा रहा है।मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया। हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद कचरे के नेताओं से पहले तीन चरणों में टेस्टिंग के आदेश दिए गए हैं।
हाईकोर्ट ने कहा है कि 27 फरवरी से टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। युगल पीठने अपने आदेश में कहा है की टेस्टिंग रिपोर्ट के केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड को भेजी जाएगी रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। अगली सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित की गई है।
जहां कचरा जलाया जाएगा ,वहां से 250 की मीटर दूरी होगी
- चिन्मय मिश्रा ने याचिका दायर करते हुए कहा है कि सरकार बगैर पर्यावरण और स्वास्थ्य के नियमों का पालन के यूनियन कार्बाइड की जहरीले कचरे को जलाने जा रही है।
- कचरा जलाने की प्रक्रिया 9 माह तक चलेगी।जिस जगह पर कचरा जलाया जाएगा। उसे 250 मीटर दूरी पर एक गांव है। 1 किलोमीटर के दायरे में अन्य गांव है। इन गांवों के ग्रामीणों को बैकल्पिक स्थान उपलब्ध नहीं कराया गया है।
- आपदा प्रबंधन के लिए भी कर काम सरकार ने काम नहीं किया। अगर कोई हादसा होता है तो पीथमपुर में अस्पताल तक नहीं है।
- याचिका में कहा है कि शासन को इस मामले में राज्य जिला और स्थानीय स्तर पर समितियां गठित करनी थी लेकिन नहीं की गई है।न्यायमूर्ति मसीह ने शासन को नोटिस जारी कर 24 फरवरी से पहले जवाब मांगा है।
10 टन कचरी को लाकर जलाया
भोपाल की फैक्ट्री से वर्ष 2015 में 10 टन कचरे को लाकर जलाया गया है। इसे जलाने में 80000 लीटर डीजल खर्च हुआ था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट में रखे जाने के बाद ही 337 टन कचरे के निपटान के निर्देश कोर्ट ने जारी किए थे फैक्ट्री के पास तारापुर गांव भी है।
और वहां 2000 परिवार निवास कर रहे हैं।उनका कहना है कि पहले दफनाया और जलाए गए कचरे के कारण क्षेत्र का भूजल स्थल प्रदूषित हो चुका है। अभी-अभी 337 मेट्रिक टन कचरा जलाया गया तो कितने लाख डीजल खर्च होगा। इसका अंदाजा कोई नहीं लग सकता।