आज महाशिवरात्रि पर्व हुई बाबा महाकाल की विशेष भस्मारती, करिए श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग लाइव दर्शन
आज से लगातार 44 घण्टे तक खुले रहेंगे बाबा महाकाल के पट,10 लाख श्रद्धालु आने की संभावना,
- महाशिवरात्रि के मौके पर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए 44 घंटे तक मंदिर के पट खुले रहेंगे।
- लाखों श्रद्धालुओं का आना निश्चित, बाबा के दर्शन से हर कोई धन्य होता है।
- बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार और भस्मारती अनूठा और दिव्य अनुभव होता है।
Mahashivaratri 2025 : देश भर में महाशिवरात्रि की धूम है। शिवरात्रि पर्व के अवसर पर आज उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में तडके तीन बजे विशेष पंचामृत अभिषेक और भस्मारती पूजन किया गया। बाबा की भस्मारती में शामिल होने के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु महाकाल मंदिर पहुँचे।
शिवरात्रि पर बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आज महाकाल मंदिर में 10 लाख से अधिक श्रद्धालु आने की सम्भावना है। दर्शन के लिए आज सुबह से लगातार 44 घण्टे तक बाबा महाकाल के पट खुले रहेंगे।
यूँ तो महाशिवरात्रि का पर्व देश भर में मनाया जाता है परन्तु बाबा महाकाल कि नगरी उज्जैन में इस पर्व कि बात ही कुछ खास है। आज प्रात: 3 बजे बाबा महाकाल की भस्मार्ती की गई । इससे पहले बाबा को पंचामृत अर्थात दूध, दही, घी, शक्कर व शहद से नहलाया गया ।
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इसके बाद चंदन का लेपन कर सुगन्धित द्रव्य चढ़ाए गए । बाबा की प्रिय विजया (भाँग) से भी उन्हें श्रृंगारित किया गया । इसके बाद बाबा को श्वेत वस्त्र ओढ़ाया गया और फिर प्रारंभ हुई बाबा को भस्म रमाने की प्रक्रिया। भस्म में नहाने के बाद झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े व शंखनाद के साथ बाबा की भस्मार्ती की गई ।
फाल्गुन माह में राजाधिराज के आँगन में विवाह अर्थात् महाशिवरात्रि की धूम रहती है। इस अवसर पर शिव नवरात्रि महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें 9 दिनों तक बाबा को हल्दी-चंदन लगाकर दूल्हा रूप में सजाया जाता है। इन नौ दिनों में बाबा के 9 अलग-अलग शृंगार किए जाते हैं फिर मनाई जाती है महाशिवरात्रि। और शिवरात्रि के अगले दिन दूल्हे की भाँति बाबा का सेहरा सजाया जाता है।
यही वह उल्लेखनीय दिन होता है, जब वर्ष में एक बार दोपहर को भस्म आरती की जाती है। सजाए गए बाबा के सेहरे को बाद में प्रसाद रूप में बाँट दिया जाता है। भगवान के आकर्षण में मोहित भक्तजन प्रसाद के रूप में मिली सामग्रियाँ पाकर स्वयं को धन्य मानते हैं।
और सेहरे से मिले पुष्प तो पुष्प पंखुड़ियाँ तक अपने साथ ले जाते हैं। मान्यता है कि इन पुष्पों को घर में रखने से वर्षभर सुख-शांति तो रहती ही है, धन-धान्य भी भरा-पूरा रहता है।
उज्जैन में भगवान शिव भूतभावन महाकाल रूप में विराजित हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केवल यही ज्योतिर्लिंग है, जिसकी मुद्रा दक्षिणमुखी है।
पूरी तरह से भगवान महाकालेश्वर के रंग में रंगे इस शहर की सुबह-शाम ऐसी लगती है, मानो स्वयं विधाता ने इसे अमृत की बूँदों से नहलाकर सजाया-सँवारा हो।और यही वे बाबा महाकाल हैं जिन पर नित्य भस्म चढ़ाई जाती है।