थाना प्रभारी ने SP साहब को किया सैल्यूट और साहब ने कर दिया सस्पेन्ड जानिए क्या है पूरा मामला

एसपी ने इसे "अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति लापरवाही" मानते हुए तुरंत निलंबन के आदेश जारी कर दिए। 

TI suspension :  मुरैना एक दिलचस्प और अनुशासन से जुड़ा मामला मुरैना जिले में सामने आया, जहां रिठौराकलां थाना प्रभारी को शॉपिंग के दौरान अपने ही पुलिस अधीक्षक से सामना करना महंगा पड़ गया। पत्नी संग मॉल में खरीदारी करने पहुंचे थाना प्रभारी जितेंद्र दौहरे को एसपी समीर सौरभ ने सवालों के घेरे में लिया, जिसका संतोषजनक जवाब न मिलने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

मॉल में हुई आमने-सामने की भिड़ंत

मंगलवार की रात, जब थाना प्रभारी जितेंद्र दौहरे ग्वालियर के एक मॉल में पत्नी के साथ खरीदारी कर रहे थे, तभी पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ भी मॉल में आ पहुंचे। थाना प्रभारी ने एसपी को देखकर तुरंत सैल्यूट किया। लेकिन यह औपचारिकता उनके लिए भारी पड़ गई। एसपी ने उनसे सवाल किया कि वह किसकी अनुमति से थाने को छोड़कर आए हैं और किसके हवाले थाना छोड़ा गया है।

थाना प्रभारी संतोषजनक जवाब देने में असमर्थ रहे। इसके परिणामस्वरूप, एसपी ने इसे “अनुशासनहीनता और कर्तव्य के प्रति लापरवाही” मानते हुए तुरंत निलंबन के आदेश जारी कर दिए।

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निलंबन के आदेश में क्या कहा गया?

पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी निलंबन आदेश में लिखा गया है, “थाना प्रभारी द्वारा बिना सूचना और अनुमति के थाने को छोड़कर जाना कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही का प्रतीक है।”

निलंबन के दौरान, टीआई को पुलिस लाइन में सुबह और शाम की गणना में उपस्थित होना होगा। साथ ही, मुख्यालय छोड़ने से पहले उन्हें स्पष्ट अनुमति लेनी होगी। हालांकि, निलंबन के दौरान उन्हें जीवन निर्वाह भत्ता मिलता रहेगा।

सोशल मीडिया पर चर्चा

थाना प्रभारी का निलंबन सोशल मीडिया पर चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या एसपी समीर सौरभ ने खुद अपने वरिष्ठ अधिकारियों से जिला मुख्यालय छोड़ने की अनुमति ली थी? या फिर उनकी उपस्थिति किसी वीवीआईपी ड्यूटी के तहत थी?

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राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में भी इस घटना को लेकर बहस छिड़ी हुई है। कई लोग इसे पुलिस अनुशासन के पालन का उदाहरण मान रहे हैं, तो कुछ इसे अधिकारों के अति-प्रयोग का मामला बता रहे हैं।

थाना प्रभारी के निलंबन के पीछे की सख्ती

मुरैना पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ का यह कदम पुलिस विभाग में अनुशासन बनाए रखने की दृष्टि से उठाया गया है। यह घटना स्पष्ट करती है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।

 

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