Saurabh Sharma : सरकारी खजाने में जमा होगा सौरभ शर्मा का 52 किलो सोना और 10 करोड़ कैश, IT और ED की जांच जारी
मध्य प्रदेश के आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के पास से मिले 52 किलो सोने और 10 करोड़ रुपये कैश का राज नहीं खुला है। अब सरकार इस संपत्ति का क्या करेगी? जानिए पूरी जानकारी।
- सौरभ शर्मा ने अब तक नहीं खोला 52 किलो सोने और 10 करोड़ रुपये कैश का राज।
- IT विभाग और लोकायुक्त की जांच लगातार जारी, लेकिन आरोपी ने किसी की पहचान नहीं की।
- सरकारी खजाने में जमा होगा सारा सोना और कैश, सरकार करेगी आगे की कार्रवाई।
Saurabh Sharma : क्या आपको कभी यह महसूस हुआ है कि फिल्में कभी-कभी असल जिंदगी से भी ज्यादा रोमांचक होती हैं? ऐसा ही कुछ हाल फिलहाल मध्य प्रदेश के सौरभ शर्मा के साथ हुआ है, जिनकी गिरफ्तारी और उनके घर से मिले 52 किलो सोने और 10 करोड़ रुपये के कैश ने मीडिया में हलचल मचा दी है। यह मामला अब तक किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं लग रहा। लेकिन सवाल यह है कि, आखिर यह सोना और कैश होगा क्या?
सौरभ शर्मा, जो पहले मध्य प्रदेश के आरटीओ में एक मामूली कर्मचारी थे, पर जब यह राज खुला, तो कोई भी अंदाजा नहीं लगा सकता था कि एक सामान्य इंसान इतने बड़े राज़ का हिस्सा बन सकता है। अब तक, उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। 5 दिन हो गए, लेकिन सौरभ शर्मा से पूछताछ के दौरान कोई खास जानकारी नहीं मिल पाई है।
आयकर विभाग की टीम ने बार-बार कोशिश की है, लेकिन सौरभ ने किसी भी व्यक्ति या संस्था का नाम लेने से इंकार किया है। उनका कहना है कि यह सोना और पैसे उनका नहीं है, लेकिन यह कबूल नहीं कर पा रहे कि असली मालिक कौन है।
सौरभ के भोपाल स्थित घर पर छापा मारा
दरअसल, जब 18 दिसंबर को लोकायुक्त ने सौरभ के भोपाल स्थित घर पर छापा मारा, तो वहां से 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये का कैश बरामद हुआ था। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह सिर्फ शुरुआत थी। जब 19 दिसंबर को मेंडोरी गांव के कुछ स्थानीय निवासियों ने पुलिस को एक लावारिस क्रिस्टा गाड़ी के बारे में सूचना दी, तो मामले ने और गहराई पकड़ी। पुलिस ने जब गाड़ी की तलाशी ली, तो उसमें 6-7 बैग मिले, जिनमें कैश और सोना भरा हुआ था।
अब सवाल उठता है कि सरकार इस संपत्ति का क्या करेगी? आयकर विभाग और लोकायुक्त ने सौरभ से पूछताछ के दौरान कई बार यह प्रयास किया कि वह यह बताएं कि यह संपत्ति कहां से आई, लेकिन सौरभ ने अब तक किसी की पहचान नहीं की। ऐसे में अब यह सारा सोना और कैश सरकारी खजाने में जमा किया जाएगा।
सौरभ की गिरफ्तारी भी किसी फिल्मी स्टाइल से कम नहीं थी। वह सोमवार, 28 जनवरी को अदालत में सरेंडर करने पहुंचे थे, लेकिन कोर्ट में कुछ दस्तावेज़ों की कमी के कारण उन्हें अगले दिन बुलाया गया था।
5 घंटे तक पूछताछ के लिए रखा गया
लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलने लगे, लोकायुक्त ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वकील ने बताया कि सौरभ को लोकायुक्त कार्यालय में 5 घंटे तक पूछताछ के लिए रखा गया, और उसी दिन उनके साथी चेतन गौर को भी हिरासत में ले लिया गया था।
अगले कुछ दिनों में, 27 दिसंबर को, आयकर विभाग और ईडी (ED) ने सौरभ के रिश्तेदारों और सहयोगियों के घरों पर छापे मारे। भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में स्थित इन ठिकानों से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। इनमें से कुछ दस्तावेज़ों में सौरभ की संपत्ति और बैंकों में जमा धन की जानकारी मिली।
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौर के नाम पर 6 करोड़ रुपये से अधिक की एफडी (Fixed Deposit) पाई गई, साथ ही परिवार के सदस्यों के नाम पर भी 4 करोड़ रुपये से ज्यादा का बैलेंस मिला। इसके अलावा, 23 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति के दस्तावेज़ भी जब्त किए गए।
ईडी और आयकर विभाग की कार्रवाई
यह पूरा मामला अब एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग के खेल जैसा प्रतीत हो रहा है। इस मामले में ईडी और आयकर विभाग की कार्रवाई अभी भी जारी है, और जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, कुछ और चौकाने वाली जानकारी सामने आ सकती है।
लेकिन इस समय सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है कि सौरभ शर्मा के पास इतनी बड़ी संपत्ति आई कहां से? क्या वह सिर्फ एक मिड-लेवल कर्मचारी थे, या फिर यह किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा थे इससे जुड़ी कुछ और सच्चाई सामने आएगी।
सरकार इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर रख रही है और आने वाले दिनों में सौरभ शर्मा से जुड़ी संपत्तियों का राज भी जल्द खुलने की संभावना है। क्या यह मामला सिर्फ एक अकेले व्यक्ति का होगा, या फिर इसमें बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं, यह देखना बाकी है।
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