New Income Tax Bill 2025: जानिए, नए इनकम टैक्स बिल की 10 बड़ी बाते,जो अब बदल जाएगी

  • नए बिल का उद्देश्य पुराने आयकर कानून को सरल
  • पुराने आयकर कानून 1961 के बदले नया आयकर कानून
  • नए आयकर विधेयक के ड्रॉफ्ट में 10 बड़ी खास बातें

New Income Tax Bill 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में अपने बजट भाषण में नए इनकम टैक्स बिल 2025 के बारे में जानकारी प्रस्तुत की है। इस नए बिल का उद्देश्य पुराने आयकर कानून को सरल और समझने में आसान बनाना है।

इसका मुख्य लक्ष्य टैक्‍सपेयर्स को एक साफ-सुथरी और सहज प्रणाली उपलब्ध कराना है, जिससे उन्हें टैक्स के नियमों को समझने में कोई कठिनाई का सामना न करना पड़े। पुराने आयकर कानून 1961 के बदले नया आयकर अधिनियम 2025 पेश किया जाएगा।

जो केवल 622 पन्नों में समेटा गया है, जबकि पुराना कानून 880 पन्नों का था। आइए, जानते हैं नए आयकर विधेयक के ड्रॉफ्ट में 10 बड़ी खास बातें, जिनसे टैक्सपेयर्स की जिंदगी और भी आसान हो सकती है।

1.अब एक टैक्‍स ईयर के द्वारा होगा हिसाब

पहले के समय में टैक्स का हिसाब लगाने के लिए “फाइनेंशियल ईयर”, “असेसमेंट ईयर” और “अन्य ईयर” जैसे कठिन शब्दों का प्रयोग होता था। लेकिन अब इन सबको खत्म करके एक सरल शब्द ‘टैक्स ईयर’ का उपयोग किया जाएगा। यह बदलाव खास तौर पर टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा। क्योंकि एक ही शब्द से वे आसानी से समझ पाएंगे कि टैक्स के हिसाब की शुरुआत कब से मानी जाएगी।

2. 536 धाराएं और 16 अनुसूचियां

नए कानून के तहत अब 536 धाराएं होंगी, जबकि पुराने आयकर अधिनियम 1961 में 298 धाराएं थीं। इससे यह साफ होता है कि नया कानून अधिक विस्तृत होगा, लेकिन साथ ही उसे सरल भाषा में बताया जाएगा। इसके साथ ही पुराने कानून में 14 अनुसूचियां थीं, जो अब बढ़कर 16 हो गई है।यह बदलाव निश्चित रूप से टैक्सपेयर्स को नए कानून की बेहतर समझ प्रदान करने के लिए बनाया गया है।

3.880 पन्नों का पुराना कानून, अब केवल 622 पन्नों में

एक महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि पुराने आयकर अधिनियम 1961 में कुल 880 पन्नों का विवरण दिया गया था जबकि नया आयकर विधेयक 2025 में यह केवल 622 पन्नों में समेटा गया है। इसमें से अधिकांश पुराने, कठिन और अप्रासंगिक धाराओं को हटा दिया गया है, जिससे कानून को सरल और अनुभूत बनाया गया है। यह बदलाव टैक्सपेयर्स के लिए एक अच्छी खबर है, क्योंकि उन्हें अब कम पन्नों में उन्हे सारी जानकारी मिल जाएगी।

4.2025 में लागू होगा नया कानून

नया आयकर विधेयक 2025 को 2026 के अप्रैल तक लागू करने का विचार किया है। इसका मतलब यह है कि यह कानून 1 अप्रैल 2026 से लागू हो सकता है।लेकिन यह समय थोड़ा दूर है, लेकिन इससे पहले अधिकारियों के लिए इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना और इसका पालन करना आसान होगा।

5.नया टैक्‍स कैलकुलेशन तरीका

नए विधेयक में अब किसी व्‍यक्ति, हिंदु विभाजित परिवार या किसी समूह के लिए टैक्‍स कैलकुलेशन किया जाएगा। इसके अलावा पहले जो अलग-अलग वर्गों के लिए सबसेक्‍शन थे, उन्हें अब टैक्स स्लैब के हिसाब से किया जाएगा। इससे करदाताओं को अपनी टैक्स फाइलिंग में कोई समस्या नहीं होगी और वे आसानी से टैक्स का हिसाब कर सकते है।

6.छूट और नए नियमों को सरल तरीके से समझना

नए आयकर विधेयक में छूट से लेकर नए नियमों को अलग-अलग सेक्‍शन में समझाया गया है, जिससे हर एक बदलाव को आसान तरीके से बताया जा सके। पहले के कानून में नियमों की समझना कठिन होता था लेकिन अब हर एक पहलू को सरल और आसानी से समझने योग्य भाषा में पेश किया जाएगा।

7.टैक्सपेयर्स को मिलेगा बेहतर समर्थन

नए आयकर विधेयक के तहत टैक्सपेयर्स को बेहतर सहायता मिल सकती है। इससे संबंधित विभागों को ज्यादा पारदर्शिता से काम करना होगा, और करदाताओं को उनके सवालों के जवाब जल्दी ही दिए जाएंगे।यह परिवर्तन टैक्सपेयर्स के लिए एक बेहतर कदम साबित हो सकता है, क्योंकि पहले इस मामले में उन्हें कई बार लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती थी।

8.छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए राहत

नए आयकर विधेयक में छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए विशेष राहत की योजना बनाई गई है। इसमें उन्हें टैक्स रिटर्न फाइल करने में आसानी होगी, साथ ही उनके लिए अधिक  छूट भी दी जा रही है।इससे व्यापारियों को अपनी टैक्स भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद होगी।

9.आसान टैक्‍स फाइलिंग प्रोसेस

नई व्यवस्था के तहत अब टैक्‍स फाइलिंग प्रक्रिया को सरल बनाया जा रहा है। पहले जहां टैक्स रिटर्न दाखिल करने में बहुत सारी कठिन समस्या का सामना करना पड़ता था वहीं अब इसे एक सहज और आसान प्रक्रिया बनाया जाएगा। यह बदलाव करदाताओं के लिए काफी राहत देने वाला हो सकता है, क्योंकि उन्हें अब ज्यादा दस्तावेज और कठिन प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना होगा।

10.टैक्स स्लैब को आसान और पारदर्शी बनाया जाएगा

नए विधेयक में टैक्स स्लैब को और अधिक पारदर्शी बनाया जा सकता है।पहले जहां कुछ स्लैब में करदाताओं को न समझने की स्थिति रहती थी, वहीं अब हर स्लैब को साफ-साफ तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। इससे करदाताओं को टैक्स भरने में कोई गलती करने की संभावना कम हो जाएगी और वे सही तरीके से अपना टैक्स भुगतान कर सकते है।

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