MP News : कल प्रदेश भर के सभी जिलों हल्ला बोल कर सड़कों पर उतरेंगे कर्मचारी जानिए क्या हैं प्रमुख मांगे

  • कर्मचारियों की क्या हैं मुख्य मांगें?
  • पदोन्नति में लगी रोक हटाना
  • सतपुड़ा भवन के बाहर कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन

MP News Today : मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा 7 फरवरी को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए जाने की योजना बनाई जा रही है।यह आंदोलन विभिन्न मांगों को लेकर किया जा रहा है।

जिसमें प्रमुख मांगें पदोन्नति में लगी रोक हटाने, पुरानी पेंशन बहाल करने, और अनुकंपा नियुक्ति जैसे मुद्दे शामिल किए गए है। कर्मचारी संगठन प्रदेश भर के सभी जिलों में अपनी 31 प्रमुख मांगों को लेकर  सड़कों पर  उतरने वाले है।और बह कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन करेंगे।

इस आंदोलन के तीसरे चरण के तहत भोपाल के सतपुड़ा भवन के बाहर भी कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। कर्मचारियों का यह आंदोलन अब एक बड़े संघर्ष की ओर बढ़ चुका है,और उनकी मांगों को लेकर पूरे राज्य में चर्चा का माहौल बन गया है। हम आपको बताते है  इस प्रदर्शन की पूरी कहानी और कर्मचारियों की प्रमुख मांगों के बारे में विस्तार से।

कर्मचारियों की  क्या हैं मुख्य मांगें?

पदोन्नति में लगी रोक हटाना

मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के पदोन्नति पर एक लंबे समय से रोक लगा कर रखी हुई है।जिससे कर्मचारियों को अपने करियर में तरक्की का कोई मौका नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि यह रोक उनकी मेहनत और कामकाजी क्षमता के साथ गलत कर रही है। उन्हें अपने काम का उचित सम्मान मिलना चाहिए और पदोन्नति के अवसर दिए जाने चाहिए।

पुरानी पेंशन योजना की बहाली

कर्मचारी संगठन यह भी मांग कर रहे हैं कि पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल किया जाए। वर्तमान में सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की है।जो कर्मचारियों के लिए आर्थिक रूप से कम लाभ दे रही है। कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी पेंशन योजना उनके भविष्य को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण थी, और इसे बदल दिया जाना चाहिए।

अनुकंपा नियुक्ति की बहाली

बहुत से कर्मचारियों का यह आरोप है कि अनुकंपा नियुक्ति की नीति में कटौती की जा रही है।जो उनके परिवारों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को नौकरी में राहत देने के लिए अनुकंपा नियुक्ति की व्यवस्था की जाती है। कर्मचारियों का कहना है कि इसे फिर से लागू किया जाना चाहिए जिससे मृतक कर्मचारियों के परिवारों को मदद दी जा सके।

कर्मचारियों की अन्य 31 प्रमुख मांगें

इसके साथ और भी मागे है।कर्मचारी संगठन ने अपनी अन्य 31 प्रमुख मांगें भी सरकार के सामने रखी दी है।जिनमे वेतन वृद्धि, सेवा नियमों में सुधार, कार्य परिस्थितियों का सुधार और अन्य भत्तों की वृद्धि शामिल किए गए है।कर्मचारी संगठन सरकार से इन मांगों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की है।

आंदोलन का तीसरा चरण 7 फरवरी का प्रदर्शन

प्रदेश भर के कर्मचारी 7 फरवरी को  सड़कों पर उतरेंगे और अपनी मांगों को लेकर अपना प्रर्दशन करेगे।इस दिन प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्ट्रेट के सामने कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन होगा। कर्मचारियों का प्रदर्शन शांतिपूर्वक  किया जाएगा। लेकिन वे अपनी मांगों को लेकर सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताएगे।प्रदर्शन के दौरान कर्मचारी ज्ञापन भी देंगे और सरकार से जल्द से जल्द अपने मुद्दों का समाधान करने की माग करेगे।

भोपाल के सतपुड़ा भवन के बाहर भी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे, जहां वे अपनी विभिन्न मांगों लिए एक साथ मिल जुलकर प्रर्दशन करेगे।यह आंदोलन कर्मचारियों की अधिकारों के लिए एक जरूरी संघर्ष साबित हो सकता है, जो यह साबित करेगा। कि मध्य प्रदेश के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं और वे अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं।

आंदोलन का चौथा चरण 16 फरवरी को

कर्मचारी संघों का आंदोलन 7 फरवरी को समाप्त नहीं किया जाएगा।कर्मचारियों ने अपने आंदोलन के चरण को बंद नहीं किया है।और चौथे चरण की तैयारी 16 फरवरी को की जा रही है। इस दिन, प्रदेश भर से प्रतिनिधि भोपाल के आंबेडकर पार्क में इकट्ठा होंगे, जहां एक बड़ी सभा का आयोजन किया जा रहा है। इस सभा में मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के सभी घटक संगठनों के प्रांताध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

इस सभा के माध्यम से कर्मचारियों को एक साथ किया जाएगा।और अपनी आवाज को और भी मजबूती से सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। इस दिन कर्मचारी संगठन एक साथ होगा और  अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। और सरकार से यह सुनिश्चित करने की मांग करेंगे कि उनकी सभी मांगों को गंभीर रूप से ले और उन्हे जल्दी ही पूरा करे।

कर्मचारियों का गुस्सा का कारण

यह आंदोलन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कर्मचारियों में पिछले कुछ वर्षों से नाराजगी बड़ रही है। सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मेहनत और संघर्ष के बावजूद उनकी जरूरतों और अधिकारों को नजरंदाज किया जा रहा है।

पदोन्नति में लगी रोक, पुरानी पेंशन योजना की समाप्ति और अनुकंपा नियुक्ति जैसी कई समस्याएं कर्मचारियों को परेशान कर रही हैं। इसके साथ ही , कर्मचारियों के वेतन और अन्य भत्तों में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है जो उनकी आर्थिक स्थिति को और भी कमजोर बना रहा है।

इसके अलावा कर्मचारियों का यह भी आरोप है कि सरकार द्वारा उनके हितों के बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए है। इसलिए, उन्होंने यह फैसला लिया है कि वे सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज उठाएंगे और सरकार से अपनी मांगों को पूरा कराएंगे।

सरकार का रुख

इस प्रदर्शन के बावजूद सरकार की तरफ से अब तक कोई जवाब नही आया है। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि सरकार कर्मचारियों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार हो रही है।सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण मौका है कि वह कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान ढूंढ़े और उनके साथ एक समझौता करके इस परेशानी का हल निकल सकती है।

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