MP Guest Teachers : अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण की मांग को लेकर, हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय, जानिए

  • अतिथि शिक्षकों का 10 वर्षों से किया संघर्ष
  • टीईटी उत्तीर्ण होने की शर्त लागू
  • हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

MP Guest Teachers :  भारत में शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे अतिथि शिक्षक पिछले कुछ वर्षों से अपने नियत नियमित कारण की मांग को लेकर बड़ा संघर्ष कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के विशेष रूप से अतिथि शिक्षकों का संघर्ष एक नई दिशा में मोड लेटा हुआ दिखाई दे रहा है।कुछ समय पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ में आयुक्त लोक शिक्षण को आदेश दिया है

कि वह 30 दिनों के भीतर अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण पर निर्णय लें। यह आदेश अतिथि शिक्षकों के लिए एक बड़ी जीत साबित हो सकता है। क्योंकि इससे उनकी दशकों पुरानी मांग को बल मिलेगा। अगर यह आदेश लागू नहीं होता है तो न्यायालय ने यह स्पष्ट किया है कि अतिथि शिक्षक शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

अतिथि शिक्षकों का 10 वर्षों से किया संघर्ष

अतिथि शिक्षक भी शिक्षक होते हैं जिन्हें अस्थाई आधार पर नियुक्त किया जाता है।यह शिक्षक स्कूलों के अध्यापन कार्य करते हैं लेकिन उन्हें स्थाई शिक्षा के समान वेतन और सुविधा नहीं दी जाती हैं। समय-समय पर विभिन्न सरकारों ने इन शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए कुछ कदम उठाए हैं।लेकिन हर बार इनका समाधान सिर्फ आश्वासन तक ही सीमित रहा है।

शिकायतकर्ता अतिथि शिक्षकों ने हाई कोर्ट में जो दलील दी वह काफी महत्वपूर्ण है।इन शिक्षकों का कहना है कि वे पिछले 10 सालों से अधिक समय से स्कूलों में सेवा दे रहे हैं लेकिन इस दौरान अपनी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी है। इसके बावजूद भी उनका नियमितीकरण नहीं किया गया

उन्होंने समय-समय पर अभ्यावेदन दिए लेकिन उन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इसके साथ ही भर्ती नियमों में बार-बार परिवर्तन कर इन शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है  उनके अनुभव और योग्यता को नजर अंदाज किया जा रहा है।और उन्हें किसी भी स्थायित्व की उम्मीद नहीं मिल रही है।

टीईटी उत्तीर्ण होने की शर्त लागू

इन शिक्षकों के नियमितीकरण की दिशा में कई परेशानी आई है।सबसे पहले तो सरकार ने डी एड , बीएड के साथ-साथ टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट उत्तीर्ण होने की शर्त लागू कर दी है।इसके पश्चात सरकार ने इन शिक्षकों से एक चयन परीक्षा में भी परीक्षा लेने की योजना बनाई।

इस नए भोज के चलते इन शिक्षकों के सामने दुगनी मुश्किल खड़ी हो गई है।इन शब्दों का विरोध करते हुए अतिथि शिक्षकों ने आंदोलन भी किया है। 10 सितंबर 2024 और 2 अक्टूबर 2024 को राजधानी भोपाल में अतिथि शिक्षकों ने दो बड़े आंदोलन किया ।पर फिर भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।

जब यह स्थिति और भी गंभीर हो गई। तो अतिथि शिक्षकों ने आयुक्त लोक शिक्षण को सूचना पत्र जारी किया। लेकिन उसका भी कोई जवाब नहीं आया है। न्याय की प्राप्ति के लिए उन्होंने अंततः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

हाई कोर्ट ने इस मामले में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने आयुक्त लोक शिक्षण को आदेश दिया है।कि वह तिथि शिक्षकों के नियमितीकरण पर 30 दिनों के भीतर निर्णय लें इस आदेश को शिक्षा जगत में एक ऐतिहासिक मुड़ माना जा रहा है। अगर 30 दिनों के भीतर इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है। तो अतिथि शिक्षक अब मानना याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे।

यह आदेश अतिथि शिक्षकों के संघर्ष की जीत के रूप में देखा जा रहा है। यह भी संकेत देता है कि न्यायालय ने यह महसूस किया है कि सरकार ने अपनी कर्तव्यों की अनदेखी की है। और अतिथि शिक्षकों के साथ यह नाइंसाफी की जा रही है।

सरकार और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी

इस निर्णय के बाद अब सरकार और शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी और भी अधिक बढ़ गई है।उन्होंने यह सुनिश्चित करना होगा कि अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण जल्द और प्रभावित तरीके से किया जाए।इसके लिए उन्हें भर्ती नियमों में बदलाव करना होगा। जिससे अनुभव और योग्यता के आधार पर इन शिक्षकों को स्थाई किया जा सके।यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आगे चलकर ऐसे बदलावों से कोई और शिक्षा के कर्मचारी किसी भी प्रकार से प्रभावित ना हो।

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