lokayukta : लोकायुक्त ने बिजली विभाग के कार्यपालन यंत्री को रंगेहाथ पकड़ा 70 हजार रुपये की मांग की थी, बाद में 25 हजार रुपये लेते रंगे हाथ पकड़ा गया
बिजली विभाग के दफ्तर में लोकायुक्त की टीम ने एग्जीक्यूटिव इंजीनियर आनंद कुमार को 25,000 रुपये रिश्वत लेते हुए धर दबोचा।
- देवास जिले के सोनकच्छ में बिजली विभाग के कार्यपालन यंत्री को रिश्वत लेते पकड़ा गया।
- आउटसोर्स कर्मचारी से बोलेरो गाड़ी के किराए के बदले 70,000 रुपये रिश्वत मांगी गई थी।
- लोकायुक्त की टीम ने 25,000 रुपये की रिश्वत के साथ कार्यपालन यंत्री को रंगेहाथ पकड़ लिया।
lokayukta : मध्यप्रदेश में रिश्वतखोरी के मामलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार देवास जिले में बिजली विभाग के एक कार्यपालन यंत्री (Executive Engineer) आनंद कुमार अहिरवार को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा गया। लोकायुक्त की टीम ने इसे एक और बड़ा झटका देते हुए 25,000 रुपये रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया। यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि सरकारी महकमों में रिश्वतखोरी का तंत्र कितनी गहरी जड़ें जमा चुका है।
क्या था पूरा मामला?
देवास जिले के सोनकच्छ इलाके में यह मामला सामने आया। यहां के बिजली विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी पुष्पराज राजपूत की बोलेरो गाड़ी विभाग में किराए से लगी थी। यह गाड़ी हर 11 महीने में टेंडर के माध्यम से विभाग में जुड़ती है। इस बार जब टेंडर का समय आया, तो कार्यपालन यंत्री आनंद कुमार अहिरवार ने गाड़ी को विभाग में रखने के बदले 70,000 रुपये की रिश्वत की मांग की।
पुष्पराज ने इसकी शिकायत उज्जैन लोकायुक्त कार्यालय में की। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए लोकायुक्त ने तुरंत जांच शुरू की और पुष्पराज को रिश्वत देने के लिए कार्यपालन यंत्री के पास भेज दिया। लोकायुक्त की टीम ने जाल बिछाकर 25,000 रुपये की रिश्वत के साथ आनंद कुमार को रंगेहाथ पकड़ लिया।
छोटे कर्मचारियों से बड़े अधिकारियों तक फैला रिश्वतखोरी का खेल
रिश्वतखोरी अब सिर्फ छोटे कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं रही। ताजा मामला भी इसी बात को साबित करता है कि रिश्वतखोरी का यह खेल छोटे कर्मचारियों से लेकर बड़े अधिकारियों तक हर किसी के बीच फैल चुका है।
लोकायुक्त का अभियान जारी
मध्यप्रदेश में लोकायुक्त का अभियान लगातार चल रहा है, और यह भी दिखाता है कि सरकार इस दिशा में गंभीर है। हर दूसरे दिन रिश्वतखोरी के मामलों में गिरफ्तारी हो रही है, लेकिन यह सवाल अब भी उठता है कि इस व्यापक भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए और क्या कदम उठाए जाएंगे?
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