Jabalpur GRP : वर्दी वाला ठग,धोखेबाज़ की चाल, ट्रेन में यात्रियों को लगाता था लाखों का चूना
Jabalpur GRP : जबलपुर जीआरपी ने पकड़ा फर्जी सीआरपीएफ जवान, ट्रेन में बनाता था दोस्ती और खाते से उड़ा देता था पैसे

- आरोपी फर्जी वर्दी पहनकर बनता था भरोसेमंद
- मोबाइल चार्जिंग के बहाने पिन देखता और पैसे उड़ा देता
- पुलिस ने देशभर की ठगी का राज़फाश किया
Jabalpur GRP : जरा सोचिए, ट्रेन में आपके बगल वाली सीट पर अगर कोई सीआरपीएफ की वर्दी में बैठा हो तो आप क्या सोचेंगे? ज़ाहिर है, भरोसा करेंगे। लेकिन जब वही भरोसेमंद चेहरा आपके खाते से पैसे उड़ा ले, तो? ऐसा ही हुआ जबलपुर में, जहाँ जीआरपी ने एक ऐसे शातिर ठग को पकड़ा है जो वर्दी पहनकर लोगों को झांसे में लेता था और उनका बैंक बैलेंस साफ कर देता था। ये कोई आम चोर नहीं था। इसका तरीका ही अलग था – पहले दोस्ती, फिर भरोसा और आख़िर में ठगी।
कैसे करता था वारदात?
ये आरोपी ट्रेन में सफर करता था, और खासतौर पर उन्हीं को टारगेट करता था जो अकेले सफर कर रहे हों। वर्दी पहनने से लोग खुद ही उसकी तरफ खिंच जाते थे – कोई पानी पूछता, कोई सीट ऑफर करता। फिर शुरू होती थी बातचीत, जिसमें वो खुद को सीआरपीएफ का जवान बताता।
थोड़ी देर बाद वो “मोबाइल चार्ज करने” के बहाने पीड़ित का फोन लेता, और वहीं से असली खेल शुरू होता। मोबाइल अनलॉक होते ही वो नज़रें तेज़ कर देता, और जैसे ही यूज़र पिन डालता, वो पिन नंबर नोट कर लेता। बाद में किसी बहाने से फोन दोबारा लेकर, UPI ऐप्स के ज़रिए अपने खाते में पैसा ट्रांसफर कर लेता।
देशभर में फैला था नेटवर्क
जबलपुर जीआरपी ने जब उसे पकड़ा, तो कई और राज्यों से भी शिकायतें सामने आईं। उसने न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी कई वारदातों को अंजाम दिया है। पुलिस के मुताबिक आरोपी अब तक लाखों रुपये की ठगी कर चुका है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में जीआरपी अधिकारियों ने बताया कि आरोपी के पास से फर्जी सीआरपीएफ यूनिफॉर्म, कई फर्जी आईडी कार्ड और अलग-अलग बैंकों के पासबुक भी बरामद हुए हैं।
लोगों का भरोसा बना सबसे बड़ा हथियार
इस मामले में सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि आरोपी का सबसे बड़ा हथियार कोई बंदूक नहीं, बल्कि लोगों का भरोसा था। वर्दी में देखकर कोई भी संदेह नहीं करता था। और यही उसकी सबसे बड़ी चाल थी।
— Tandav media (@mediatandav) April 10, 2025
वो बहुत ही सरल स्वभाव का दिखता था, हँसकर बात करता था और जल्दी ही लोगों से घुल-मिल जाता था। कई बार वो खुद पानी या चाय मंगाकर लोगों का विश्वास जीत लेता था। और फिर मौका मिलते ही वारदात को अंजाम देता।
क्या कहती है पुलिस?
जबलपुर जीआरपी ने आरोपी को पकड़ने के लिए एक टीम बनाई थी, जिसने सीसीटीवी फुटेज और यात्रियों के बयान के आधार पर उसे ट्रैक किया। एक अधिकारी ने बताया कि “ऐसे मामलों में सबसे मुश्किल होता है ठग की पहचान करना, क्योंकि वो ना तो असली नाम बताता है और ना ही असली पता। लेकिन इस बार हमने उसकी हर चाल को बारीकी से पकड़ा।
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