Holi 2025 Holika Dahan Time : होलिका दहन 2025: होली पर भद्रा काल और शुभ मुहूर्त की जानकारी, जानें सही समय
होलिका दहन का सही समय कब है? इस बार होली पर भद्रा काल कितने बजे तक रहेगा, जानें ज्योतिष से। साथ ही, होलिका दहन की खास परंपराएं और मान्यताएं।
- होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को 10:24 बजे से।
- 13 मार्च को भद्रा काल 9 बजे से लेकर 10:23 बजे तक रहेगा।
- बुंदेलखंड में होलिका की अग्नि को घर में लाने की परंपरा।
Holi 2025 Holika Dahan Time : होलिका दहन और रंगों का त्योहार होली, जो हर साल पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, इस साल भी हमारे बीच आ रहा है। यह त्योहार सिर्फ रंगों और खुशियों का नहीं, बल्कि एक गहरी मान्यता और परंपरा से भी जुड़ा हुआ है। और अगर आप भी इस बार होली पर कुछ खास करना चाहते हैं, तो आपको शुभ मुहूर्त और भद्रा काल के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
तो बात करते हैं पहले होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की। ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार, इस साल होली का पर्व 14 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन होलिका दहन 13 मार्च को होगा। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस दिन भद्रा काल का असर रहेगा? जी हां, होली के दिन भद्रा काल सुबह 9 बजे से शुरू होगा और रात 10:23 बजे तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, खासकर होलिका दहन।
कब है होलिका दहन का सही समय?
तो अब सवाल ये उठता है कि होलिका दहन कब करना सही रहेगा? इसका जवाब है – 13 मार्च को रात 10:24 बजे से। जी हां, पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार, भद्रा का साया 10:23 बजे तक रहेगा और जैसे ही समय 10:24 बजे आएगा, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा। इसलिए, आप इसे सही समय पर करें ताकि इसका पूरा लाभ मिले।
भद्रा काल और इसका असर
भद्रा काल ज्योतिष में एक खास महत्व रखता है। इसे एक अशुभ समय माना जाता है, जो किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता। इस समय के दौरान अगर आप कोई विशेष कार्य करते हैं, तो इसके गलत परिणाम हो सकते हैं। इसलिए, होलिका दहन के लिए भद्रा काल के बाद का समय ही सर्वोत्तम होता है।
बुंदेलखंड की परंपरा होलिका की अग्नि घर लाना
अब, अगर हम बात करें होली की परंपराओं की, तो होली के बारे में जितनी बातें आपने सुनी होंगी, उनमें से एक खास परंपरा बुंदेलखंड की है। वहां पर होलिका दहन के बाद, उसकी अग्नि को घर लाया जाता है। यह परंपरा वहां के लोगों में अभी भी पूरी श्रद्धा से निभाई जाती है।
पूरे गांव या मोहल्ले में होलिका दहन की पूजा के बाद, जो अग्नि बचती है, उसे एक पात्र में रखा जाता है और फिर उसे घर लाया जाता है। वहां, इसे चूल्हे की राख में दबा दिया जाता है। अगली सुबह, इस राख में गोबर के कंडे और लकड़ी रखी जाती है, ताकि घर का चूल्हा हमेशा जलता रहे। यह परंपरा पूरे साल घर में समृद्धि और खुशहाली बनाए रखने के लिए मानी जाती है।
होलिका की अग्नि की मन्यता
क्या आप जानते हैं कि होलिका की अग्नि को घर में लाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा शुभ संकेत माना जाता है? इसे घर में शांति, समृद्धि और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है। जब यह अग्नि बुझ जाती है, तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है।
रंगों और खुशियों का त्योहार
होली सिर्फ एक त्योहार नहीं है, यह हर दिल में एक नई उम्मीद, एक नई शुरुआत की भावना भरता है। यह समय होता है परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाने का। रंगों की उधल-पुथल के बीच, हम अपने सारे गिले-शिकवे दूर कर, एक-दूसरे से सच्ची दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं। होली पर रंग खेलने का मज़ा कुछ और ही होता है। यह एक दिन होता है जब हम सभी अपने दुखों को भूलकर, सिर्फ खुशी और आनंद में डूब जाते हैं।
होली के दिन, आप अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं, पुराने दोस्तों से मिलते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात, दिलों में एक-दूसरे के लिए प्यार और स्नेह बढ़ता है। इस दिन हर कोई एक दूसरे के गिले-शिकवे दूर करता है और नई शुरुआत करता है।
होली पर सावधानियाँ और क्यूं जरूरी है शुभ मुहूर्त
अगर आप भी इस बार होली पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताना चाहते हैं, तो आपको कुछ खास सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहली बात, आपको होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। भद्रा काल के दौरान कोई भी कार्य करना गलत प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, इसे सही समय पर ही करें।
दूसरी बात, होली के रंगों में डूबते वक्त सावधान रहें। कई बार हानिकारक रसायन वाले रंगों का इस्तेमाल हमारी त्वचा और आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है। तो, हमेशा प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें और अपने शरीर को सुरक्षित रखें।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। और अधिक सटीक जानकारी के लिए अपने ज्योतिषी या पंडित से संपर्क करें।
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