कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा का निधन,जानिए भारत के विकास में क्या महत्वपूर्ण योगदान था
एस एम कृष्णा का जन्म 1 मई 1932 को कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली गाँव में हुआ था। वे एक छोटे से गांव के परिवार से आते थे
SM Krishna passed away Today: कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व विदेश मंत्री सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा का निधन 10 दिसंबर 2024 को हो गया। 92 वर्ष की आयु में उन्होंने बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। एस एम कृष्णा के निधन से राजनीति और प्रशासन के क्षेत्र में एक युग का समापन हो गया है। उनका योगदान न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे भारत के विकास में महत्वपूर्ण था, उन्होंने बेंगलुरु को दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण तकनीकी केंद्र के रूप में स्थापित किया।
एस एम कृष्णा का जन्म
एस एम कृष्णा का जन्म 1 मई 1932 को कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली गाँव में हुआ था। वे एक छोटे से गांव के परिवार से आते थे, भारतीय राजनीति के शीर्ष स्तर तक पहुँचाया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कर्नाटक में पूरी की और फिर उच्च शिक्षा के लिए मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
एस एम कृष्णा का राजनीतिक सफर
कृष्णा का राजनीतिक सफर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर शुरू हुआ। उन्होंने 1960 के दशक के अंत में कांग्रेस पार्टी में कदम रखा और कर्नाटक की राजनीति में अपनी पहचान बनाई। उनका सरल और ईमानदार व्यक्तित्व उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बना गया, और जल्द ही वे राज्य राजनीति में एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे।
मुख्यमंत्री बनने तक की यात्रा
1999 में, एस एम कृष्णा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। इस पद पर रहते हुए उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। कृष्णा का सबसे बड़ा योगदान बेंगलुरु के तकनीकी विकास में था। उनके नेतृत्व में, बेंगलुरु को “भारत की सिलिकॉन वैली” के रूप में पहचान मिली।
उनकी सरकार ने IT सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां बनाईं कृष्णा ने बैंगलोर एजेंडा टास्क फोर्स (BATF) की स्थापना की, जिससे शहर में बड़े पैमाने पर निवेश आया और हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर मिले। उनकी नीतियों से बेंगलुरु में न केवल घरेलू कंपनियां, बल्कि विदेशी कंपनियां भी अपनी शाखाएं खोलने के लिए आकर्षित हुईं। इसके कारण कर्नाटक के आर्थिक विकास को नया दिशा मिली और बेंगलुरु का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हुई ।
विदेश मंत्री के रूप में योगदान
एस एम कृष्णा ने 2009 से 2012 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में भी कार्य किया। इस भूमिका में उन्होंने भारतीय विदेश नीति को एक नई दिशा देने की कोशिश की। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया। उन्होंने भारतीय को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया और कई देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाया। उनके नेतृत्व में भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी भूमिका को मजबूती की ।
भाजपा में शामिल होना
कृष्णा का राजनीतिक जीवन केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं रहा। 2017 में, उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) में शामिल हो गए। हालांकि, इस कदम के बाद वे राजनीति में कम सक्रिय हो गए। उनका मानना था कि कांग्रेस पार्टी में रहते हुए उन्होंने भारतीय राजनीति में बहुत कुछ हासिल किया, लेकिन भाजपा में शामिल होकर उन्होंने अपनी विचारधारा के अनुकूल एक नया रास्ता अपनाया।
कृष्णा ने 2004 में विधानसभा भंग करने के फैसले को अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल माना। उनका मानना था कि अगर वे राज्य राजनीति में ही बने रहते, तो बेंगलुरु और भी ज्यादा प्रौद्योगिकी और औद्योगिक नजरिए से मजबूत हो सकता था। यह एक ऐसा के साथ हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया।
एस एम कृष्णा का योगदान
एस एम कृष्णा का योगदान सिर्फ तकनीकी विकास और तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने हमेशा एक विकासशील भारत की बात की। उनके लिए राजनीति का मतलब था समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए काम करना। उन्होंने हमेशा जनता के मुद्दों को प्राथमिकता दी और कर्नाटक के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया। उनका नजरिया हमेशा दूरदर्शी था और उन्होंने कभी भी अपने राजनीतिक कार्यों को केवल सत्ता में रहने के लिए नहीं किया।
कृष्णा के योगदान का मूल्यांकन केवल उनके कार्यकाल से नहीं किया जा सकता। उनका योगदान भारतीय राजनीति और कर्नाटक के विकास में एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में बेंगलुरु ने अपनी तकनीकी ताकत को साबित किया और कर्नाटक ने अपनी पहचान को एक प्रमुख व्यापारिक और औद्योगिक राज्य के रूप में स्थापित किया।
सम्मान और पुरस्कार
एस एम कृष्णा का योगदान केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं था, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और सेवाओं के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2023 में उन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से नवाजा गया। यह सम्मान उनके छह दशक लंबे राजनीतिक करियर और भारत के विकास में उनके योगदान के लिए दिया गया था।
कृष्णा के कार्यकाल के दौरान IT सेक्टर में अभूतपूर्व विकास हुआ और बेंगलुरु को एक वैश्विक तकनीकी केंद्र के रूप में स्थापित किया गया। इसके अलावा, उनके नेतृत्व में कर्नाटक ने अपनी अर्थव्यवस्था को एक नए स्तर तक पहुँचाया, जिससे राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हुआ।
व्यक्तिगत जीवन और परिवार
एस एम कृष्णा का परिवार हमेशा उनके लिए एक मजबूत समर्थन था। उनकी पत्नी प्रेमा और दो बेटियाँ मालविका और शांभवी थीं। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत जीवन साद और सहज था उनका परिवार सामाजिक जिम्मेदारियो मे हमेशा उनके साथ खड़े रहे।