First Hydrogen Train In india : भारत की पहली हाईड्रोजन ट्रेन,इस रूट पर सफर करेगी तय,जानिए क्या होगी ट्रेन की स्पीड
यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना पर काम शुरु कर दिया है।

- स्वदेशी रूप से विकसित है हाइड्रोजन ट्रेन
- हाइड्रोजन ट्रेन में कैसी होगी बैटरी
- देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन
- हाइड्रोजन ट्रेन का रूट मैप होगा
First Hydrogen Train In india : देश में अब डीजल इंजन और बिजली इंजन वाली ट्रेनों के साथ साथ अब हाइड्रोजन ट्रेन भी दौड़ती हुई दिखाई देगी। भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का रूट हरियाणा के जींद-सोनीपत होगा। इस ट्रेन की स्पीड 110 किमी. प्रति घंटे तय की गई है।इस ट्रेन की और क्या-क्या खासियते होगी और यह कब तक शुरू की जाएगी।
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन
इंडियन रेलवे हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की दिशा में कदम उठा चुका है। देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन कुछ ही दिनों में हरियाणा के जींद-सोनीपत रूट पर सफर करती हुई नजर आने वाली है। यात्रियों की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए भारतीय रेलवे ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना पर काम शुरु कर दिया है।
जो दुनिया की सबसे लंबी और अधिकतम शक्ति वाली हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक होने वाली है।रेल मंत्री ने कहा है कि भारतीय रेलवे ने प्रायोगिक आधार पर पहली हाइड्रोजन ट्रेन के विकास के लिए डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) रेक पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल के रेट्रोफिटमेंट द्वारा एक अत्याधुनिक परियोजना शुरू की है।

हाइड्रोजन ट्रेन का रूट मैप होगा
देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद से सोनीपत के मध्य सफर तय करेगी। प्लान के अनुसार साल 2024 के दिसंबर माह में ट्रेन को चलाना था, लेकिन यह नहीं हो पाया है। और प्रयास किए जा रहे है कि जल्द ही इसको पटरियों पर दौड़ाया जाएगा। इस ट्रेन को अधिकतम 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया जाएगा।
इसमें 8 कोच बनाए गए है। जिसमें 2638 यात्री एक बार में सफर कर सकते है। डीजल और अन्य जीवाश्म ईधन से चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले यह प्रदूषण को कम करने में सक्षम है। क्योंकि, इसका उत्सर्जन केवल पानी और गर्मी है। इस लखनऊ स्थित आरडीएसओ संस्था ने किया है और निर्माण और इंट्रीग्रेशन आईएफसी चेन्नई में किया गया है।
स्वदेशी रूप से विकसित है हाइड्रोजन ट्रेन
पहली हाइड्रोजन ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित की गई है।इसे अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने विकसित किया है।और दावा किया जा रहा है कि यह वर्तमान में दुनिया की सबसे लंबी और अधिकतम शक्ति वालीहाइड्रोजन ट्रेन में से एक होगी। ट्रेन के साथ, हाइड्रोजन को फिर से भरने के लिए एकीकृत हाइड्रोजन उत्पादन-भंडारण-वितरण सुविधा की कल्पना की गई है।
आवश्यक सुरक्षा अनुमोदन के लिए पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन से आग्रह किया गया है। यह परियोजना वैकल्पिक ऊर्जा संचालित ट्रेन यात्रा में प्रगति के लिए शुरू की गई है।यह योजना भारतीय रेलवे की प्रतिबद्धता को स्थापित करती है, जिससे देश के परिवहन क्षेत्र के लिए स्वच्छ और हरित भविष्य सुनिश्चित होता है।

हाइड्रोजन ट्रेन में कैसी होगी बैटरी
हाइड्रोजन ट्रेन में हाइड्रोजन के लिए कंपार्टमेंट लगे होंने और इस फ्यूल में कन्वर्ट करने के लिए 4 बैटरियां भी दी जा रही है।और सबसे खास बात यह है कि दुनिया के कई देशों में रोड ट्रांसपोर्ट में हाइड्रोजन फ्यूल सफल है, लेकिन रेल ट्रांसपोर्ट में इसका सफल प्रयोग नहीं हो पायाहै।
जानकारी के अनुसार हाइड्रोजन ट्रेन की इंटरनल टेक्नोलॉजी स्ट्रक्चर डेस्क के पीछे कंट्रोल पैनल होगा। और उसके पीछ 210 किलो वॉट की बैटरी उसके पीछे फ्यूल सेल होगा। फिर उसके बाद हाइड्रोजन सिलेंडर कास्केड-1,2 और 3 हो सकते है। इसके बाद ही फ्यूल सेल होगा और अंत में एक और 120 किलो वॉट की बैटरी लगी होगी।
कहां चलती हैं हाइड्रोजन ट्रेन
भारत से पहले सिर्फ चाइना, स्वीटजरलैंड और जर्मनी में हाइड्रोजन फ्यूल वाली ट्रेन निर्मित हुई, लेकिन बहुत सफल नहीं हो पाई है। लेकिन जर्मनी इस काम में सक्षम निकला है।और जर्मनी को सफलता भी मिली है।जहां सिर्फ 2 कोच वाली हाइड्रोजन ट्रेन चल रही है।
टेक्नोलॉजी पर निपुण होना चाहता, भारत
भारत इस टेक्नोलॉजी पर निपुण होना चाहता है। क्योंकि, अब तक दुनिया में कहीं भी बड़े पैमाने पर यह ट्रेन इस्तेमाल नहीं हो पाई है। जर्मनी, चाइना और स्वीटजरलैंड ने प्रयास तो किया, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली है।जानकारी के अनुसार बाकी देश 1000 हॉर्स पावर तक गए लेकिन भारत 1200 हॉर्स पावर पर काम कर रहा है। भविष्य में हो सकता है देश में बोट, टग बोट और ट्रकों में भी इसका इस्तेमाल हो। इस तरह की ट्रेन चलाने वाला भारत विश्व का पांचवां देश बन जाएगा।

ट्रेन को नमो ग्रीन रेल नाम दिया
आरडीएसओ ने इस ट्रेन को नमो ग्रीन रेल नाम दिया है। लेकिन, यह औपचारिक नाम दिया गया है।इस ट्रेन को साल 2025 में ही चलाने का लक्ष्य है। प्रयास है कि अगले 2 और 3 महीने में आप सफर कर सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि यह ट्रेन कार्बन उत्सर्जन को काफी हद तक कम करेगी,
जिससे हरित और टिकाऊ परिवहन को बूस्ट मिलेगा। इसके साथ ही भारतीय रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भर भारत अभियान में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा। यह ट्रेन भारत में हाइड्रोजन बेस्ड ट्रासंपोर्टेशन सिस्टम को मजबूत बनाएगी। इस ट्रेन में आवाज नहीं होगी।और यह सुरक्षित भी होगी।
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