Damoh News : दमोह अस्पताल में फर्जी डॉक्टर की सर्जरी ने मचाया हंगामा, सात मौतों के बाद मामला दर्ज, क्या है पूरी सच्चाई
Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह में ईसाई मिशनरी अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा की गई सर्जरी में सात मौतों का मामला सामने आया, जिसके बाद पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया।

- मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर द्वारा की गई सर्जरी में सात लोगों की मौत हो गई।
- डॉ. एन जॉन केम का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, जो फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट था।
- पुलिस ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के आरोप में मामला दर्ज किया है, लेकिन सर्जरी से हुई मौतों पर अभी जांच चल रही है।
Damoh News : मध्य प्रदेश के दमोह जिले से एक बड़ी और चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित मिशन अस्पताल में एक फर्जी डॉक्टर द्वारा हार्ट सर्जरी की गई, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद अस्पताल और डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, और अब पुलिस जांच की प्रक्रिया में जुटी है।
ये मामला तब सामने आया जब स्थानीय अधिवक्ता दीपक तिवारी ने इस बारे में शिकायत की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि इस फर्जी डॉक्टर ने मरीजों पर गलत तरीके से ऑपरेशन किया और इसके कारण सात लोगों की जान चली गई। इसके बाद कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर अब एफआईआर दर्ज कराई गई है।
फर्जी डॉक्टर का खुलासा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फर्जी डॉक्टर का नाम असल में डॉक्टर एन जॉन केम नहीं बल्कि नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है। यह व्यक्ति खुद को ब्रिटेन के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉ. एन जॉन केम बताता था, लेकिन जब जांच की गई तो यह सब बकवास साबित हुआ। असल में, नरेंद्र यादव के नाम से यह व्यक्ति हैदराबाद में आपराधिक मामलों में भी फंसा हुआ है और वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहता था।
इसने 2023 में फ्रांस में हुए दंगों पर एक ट्वीट किया था, जिसमें उसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपनी तस्वीर शेयर की थी।
जांच के दौरान सामने आईं हैरान करने वाली बातें
इस मामले की गंभीरता का पता तब चला, जब कलेक्टर द्वारा गठित जांच कमेटी ने बताया कि इस डॉक्टर के दस्तावेज भी नकली थे। डॉक्टर के द्वारा पेश किए गए प्रमाणपत्रों में कई खामियां थीं। खासकर यह कि इस व्यक्ति का नाम आंध्र प्रदेश के मेडिकल बोर्ड में भी दर्ज नहीं था। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में प्रैक्टिस करने के लिए उसे स्वास्थ्य विभाग से रजिस्ट्रेशन की जरूरत थी, लेकिन वह रजिस्ट्रेशन भी नहीं था।
इसका मतलब यह है कि डॉ. एन जॉन केम, जो अब नरेंद्र यादव निकला, ने फर्जी तरीके से नौकरी की और उसी दौरान उसने मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी की, जिनमें सात मौतें हो गईं। पुलिस ने इस मामले में धोखाधड़ी और दस्तावेजों में कूटरचना जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
दमोह पुलिस ने इस मामले में फिलहाल डॉ. एन जॉन केम (नरेंद्र यादव) के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, लेकिन मामले में अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भी जांच की जा रही है। पुलिस ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के आरोप लगाए हैं, लेकिन अभी तक सर्जरी में हुई मौतों को लेकर कोई नहीं उठाया गया है। पुलिस को इस मामले की जांच में कलेक्टर द्वारा कराई जा रही जांच का इंतजार है।
इस घटना में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। जब एफआईआर दर्ज होने के बाद मीडिया ने सीएमएचओ डॉ. एम के जैन से इस मामले के बारे में सवाल किए, तो डॉ. जैन पुलिस थाने से डर कर भाग गए। मीडिया कर्मी उनका पीछा करते रहे, लेकिन वह बचते-बचते थाने से निकल गए।
फर्जी डॉक्टर की तलाश जारी
इस समय पुलिस डॉ. एन जॉन केम की तलाश कर रही है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा। हालांकि, इस मामले में एक बड़ा सवाल यह भी है कि इस तरह के फर्जी डॉक्टर को अस्पताल में काम करने की अनुमति किसने दी? क्या अस्पताल प्रशासन ने उसकी जांच की थी? और अगर उन्होंने जांच की थी, तो किस आधार पर उसे काम करने की मंजूरी दी?