मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का बड़ा निर्णय,अब महिलाएं नहीं कर सकती यह दावा जानिए
न्यायमूर्ति मनिंदर एस भट्टी ने एक व्यक्ति के खिलाफ एक बलात्कार का मामला खारिज कर दिया है पिछले साल एक विवाहित महिला की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था
- महिला की सहमति को तथ्यों की गलत धारणा
- एक बलात्कार का मामला खारिज
- तलाक देने और उससे शादी करने का वादा
Chattarpur News : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक मुख्य फैसला सुनाया है। जिसमें एक विवाहित महिला यह दवा नहीं कर सकती है कि किसी अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए उसकी सहमति शादी के झूठे वादे के तहत की गई थी।
न्यायमूर्ति मनिंदर एस भट्टी ने एक व्यक्ति के खिलाफ एक बलात्कार का मामला खारिज कर दिया है पिछले साल एक विवाहित महिला की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था यह फैसला अदालत का छतरपुर के आरोपी वीरेंद्र यादव द्वारा आरोपी को चुनौती देने वाली शिकायत करने के बाद आया है।
महिला की सहमति को तथ्यों की गलत धारणा
वीरेंद्र यादव की शिकायत में बताया गया है कि महिला का बलात्कार का दवा वैध नहीं है। क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा थी और उसने स्वेच्छा से उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे।वीरेंद्र यादव के वकील ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि महिला की सहमति को तथ्यों की गलत धारणा के माध्यम से प्राप्त नहीं माना जा सकता है।क्योंकि वह अपने रिश्ते की सच्चाई से अच्छी तरह से परिचित थी।
उच्च न्यायालय ने फिर में शिकायतकर्ता के अपने बयान को ध्यान में रखते हुए बताया है कि वह शिकायतकर्ता के साथ 3 महीने से रिश्ते में थी। उसने यह भी कहा है कि जब भी उसका पति बाहर होता था तो शिकायतकर्ता उसके घर आता था और भी सहमति से शारीरिक संबंध बनाते थे।अदालत ने कहा है कि शिकायतकर्ता द्वारा उनके रिश्ते में किसी प्रकार की जबरदस्ती या बल का आरोप नहीं लगाया गया है।
तलाक देने और उससे शादी करने का वादा
शिकायतकर्ता का दावा है की याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी को तलाक देने और उससे शादी करने का वादा किया था। जिसे फिर में दर्ज किया गया था। लेकिन अदालत को इस बात का सीधा प्रूफ नहीं मिला है।कि महिला को झूठे बहाने से याचिकाकर्ता के साथ यौन संबंध बनाने के लिए राजी किया गया था।
न्यायमूर्ति भट्टी ने फैसला सुनाया है कि महिला की सहमति धोखे से नहीं ली गई थी। और वीरेंद्र यादव के खिलाफ दर्ज फिर को रद्द किया गया है।अदालत में बलात्कार के मामले को रद्द करने का आदेश दे दिया है।और याचिका करता को बरी कर दिया गया।सुरेश पंडित ने कानूनी कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया है।
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