Chandrayaan-5 Mission को मिली हरी झंडी, ISRO और जापान करेंगे मिलकर काम
भारत नेChandrayaan-5 Mission को लेकर बड़ी घोषणा की है। यह मिशन ISRO और जापान के सहयोग से चंद्रमा के नए पहलुओं को उजागर करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
- चंद्रयान-5 में 250 किलोग्राम का नया रोवर भेजा जाएगा।
- इस मिशन में ISRO के साथ जापान का सहयोग रहेगा।
- चंद्रयान-5 चंद्रमा की सतह और संरचना पर गहरे अध्ययन करेगा।
Chandrayaan-5 Mission : के लिए हाल ही में केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई है, और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इसके लिए तैयार है। ISRO के चेयरमैन वी. नारायणन ने 16 मार्च 2025 को इस महत्वपूर्ण मिशन का ऐलान किया। इस बार, चंद्रयान-5 के साथ ISRO और जापान की साझेदारी देखने को मिलेगी, जो इसे और भी खास बनाती है।
भारत का चंद्रयान सफर
भारत ने चंद्रमा पर अपने मिशनों से न केवल अंतरिक्ष में अपनी ताकत को साबित किया है, बल्कि इसने दुनिया को भी चौंका दिया। चंद्रयान-1 (2008) ने चंद्रमा की सतह पर खनिजों, रसायनों और फोटो-जियोलॉजिकल मानचित्रों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी।
इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर और रोवर भेजना था। हालांकि, लैंडर का संपर्क टूट गया था, फिर भी ऑर्बिटर ने चंद्रमा से कई उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजेस भेजीं।
क्या खास होगा चंद्रयान-5 में?
चंद्रयान-5 में एक नया और बड़ा 250 किलोग्राम का रोवर भेजा जाएगा, जो चंद्रमा की सतह और संरचना पर गहरी जांच करेगा। ISRO के चेयरमैन ने बताया कि इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के बारे में और भी विस्तार से जानकारी जुटाना है। इसमें जापान का सहयोग होने से मिशन की सफलता की संभावना और बढ़ जाती है क्योंकि जापान के पास भी अंतरिक्ष विज्ञान में शानदार तकनीकी विशेषज्ञता है।
चंद्रयान-5 और उसके बाद
चंद्रयान-5 के बाद, ISRO की नजरें चंद्रयान-4 पर हैं, जो 2027 में लॉन्च हो सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की मिट्टी के नमूने इकट्ठा करके उन्हें पृथ्वी पर लाना है, जिससे वैज्ञानिकों को चंद्रमा के रहस्यों को और भी गहरे समझने का मौका मिलेगा।
ISRO की भविष्यवाणी
चंद्रयान मिशनों के अलावा, ISRO के पास कई और महत्वाकांक्षी योजनाएं हैं। इनमें सबसे अहम है “गगनयान” मिशन, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन होगा। इस मिशन के जरिए भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे। इसके अलावा, ISRO ने भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना भी बनाई है, जिसे ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ नाम दिया जाएगा।
अब जब चंद्रयान-5 को मंजूरी मिल गई है, भारत के पास अंतरिक्ष अनुसंधान और तकनीकी विकास के कई और अवसर आएंगे, जो इसे दुनिया के अंतरिक्ष क्षेत्र में और भी प्रमुख बना देंगे।
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