लोकायुक्त की बड़ी कार्यवाही: सहायक आबकारी अधिकारी 3.5 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

lokayukta big action : सिवनी में जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्यवाही करते हुए सहायक आबकारी अधिकारी पवन कुमार झरिया को 3.5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। यह रिश्वत विदेशी शराब की दुकानों के ठेके के मामले में मांगी गई थी, जिसमें ठेकेदार से हर महीने मोटी रकम वसूली जा रही थी। इस कार्यवाही के बाद जिले में हड़कंप मच गया है और भ्रष्टाचार को लेकर बड़ी चर्चा हो रही है।

3.5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़े गए सहायक आबकारी अधिकारी

जबलपुर लोकायुक्त की टीम द्वारा किए गए इस ऑपरेशन में सहायक आबकारी अधिकारी पवन कुमार झरिया को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने शराब ठेका संचालन के एवज में 3.5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। आरोप है कि सहायक आयुक्त आबकारी अधिकारी शैलेश कुमार जैन ने मासिक 5 लाख रुपए की रिश्वत की मांग रखी थी, जिसमें से 3.5 लाख रुपए की रकम सहायक अधिकारी पवन कुमार झरिया को देने के लिए कहा गया था।

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लोकायुक्त की सटीक योजना से रंगे हाथ हुए गिरफ्तार

सूचना मिलते ही लोकायुक्त टीम ने इस मामले में तुरंत कदम उठाते हुए पवन कुमार झरिया को घूस लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। लोकायुक्त टीम की सटीक योजना और कुशलता ने इस मामले को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में विश्वास बहाल करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।

रिश्वतखोरी पर बढ़ता शिकंजा

मध्य प्रदेश में आबकारी विभाग के तहत भ्रष्टाचार के मामले लगातार बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। इस घटना ने राज्य में आबकारी अधिकारियों द्वारा शराब के ठेकों पर चल रही कथित रिश्वतखोरी के एक और उदाहरण को उजागर किया है। इस मामले ने न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसमें सुधार की भी मांग की जा रही है।

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लोकायुक्त का सख्त संदेश: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति

इस कार्यवाही से यह स्पष्ट है कि मध्य प्रदेश लोकायुक्त भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त रुख अपनाए हुए है और घूसखोरी में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के लिए तत्पर है। इस तरह की कार्रवाईयों से प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश दिया जा रहा है कि रिश्वतखोरी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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