शराब प्रेमियों के लिए बुरी खबर अब नगद मे नहीं मिलेगी शराब,शराब दुकानों के लिए नए प्रावधान और जानिए 1 अप्रैल से लागू होने वाले बदलाव

- 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी बनी रहेगी
- नए प्रावधानों से सरकार को मिलने वाली आय
- शराब की बिक्री में डिजिटल भुगतान
- शराब गोदामों में बायोमेट्रिक लॉकिंग
- बार संचालकों के लिए नई शर्तें
MP Excise Policy 2025: मध्य प्रदेश की सरकार ने 2025 की आबकारी नीति में कई महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव रखा है, जो प्रदेश के शराब बाजार को नए सिरे से व्यवस्थित करने का प्रयास करेंगे। इस नीति में शराब दुकानों के साथ परमिट रूम खोलने के प्रस्ताव को अब हटा दिया गया है, जिससे कई बड़े बदलाव हो सकते हैं। 1 अप्रैल से लागू होने वाली इस नीति में कुछ नए प्रावधान भी जोड़े गए हैं, जो राज्य में शराब से जुड़ी व्यवस्थाओं को नया बन रही है।
परमिट रूम पर रोक
पिछले कुछ वर्षों में शराब दुकानों के साथ ‘अहाते’ और परमिट रूम खोले जाने का मुद्दा लगातार चर्चा में रहा था। 1990 के दशक में मुख्यमंत्री उमा भारती के नेतृत्व में ‘अहाते’ (शराब पीने की जगह) पर रोक लगाई गई थी। अब सरकार की नई नीति में शराब दुकानों के साथ परमिट रूम खोलने का प्रस्ताव था,
लेकिन यह प्रस्ताव अब हटा लिया गया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह था कि इस व्यवस्था का विरोध हो रहा था। कुछ समाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थाओं ने परमिट रूम खोलने के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसके बाद सरकार ने यह निर्णय लिया।
17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी बनी रहेगी
नई आबकारी नीति के तहत मध्य प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी जारी रहेगी। इनमें उज्जैन, महेश्वर, और अन्य धार्मिक महत्व वाले स्थल शामिल हैं। इन शहरों में शराब की बिक्री पर कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। खासकर उज्जैन में जहां साल भर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है, वहां शराब की दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार की यह नीति धार्मिक स्थलों को पारंपरिक रूप से सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाना चाहती है। उज्जैन में 17 शराब की दुकानें बंद की जाएंगी, और अन्य धार्मिक शहरों में भी शराब की बिक्री पर कोई छूट नहीं मिलेगी।, ताकि धार्मिक स्थलों पर परिवारों और श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
नए प्रावधानों से सरकार को मिलने वाली आय
नई आबकारी नीति में सरकार ने शराब दुकानों की ऑफसेट कीमतों में 18 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है। यह बदलाव प्रदेश सरकार के लिए 2600 से 3500 करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त आय कर सकता है। अगर किसी जिले में शराब दुकानों के ठेका की कुल कीमत 100 करोड़ रुपये है, तो वहां के नवीनीकरण के लिए शर्त रखी गई है कि 80 प्रतिशत आवेदन प्राप्त होने चाहिए (पहले यह सीमा 70 प्रतिशत थी)।
शराब की बिक्री में डिजिटल भुगतान
नई नीति में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि इम्पोर्टेड शराब पर प्रति बोतल 750 रुपये का शुल्क लिया जा सकता है। इस बदलाव से इम्पोर्टेड शराब की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो घरेलू शराब उत्पादकों को लाभ पहुंचा सकती है। इसके अलावा, फुटकर विक्रेताओं को प्रति बोतल 600 रुपये का समायोजन लाभ मिल सकता है, जो उनके लिए वित्तीय राहत का कारण बनेगा।
इसके साथ ही, शराब की बिक्री में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। दुकानों में स्कैनर और pos (पॉइंट ऑफ सेल) मशीनें लगाने की योजना बनाई जा रही है ताकि शराब की बिक्री में पारदर्शिता बनी रहे और नकदी लेन-देन को रोका जा सके। यह कदम शराब की बिक्री की प्रक्रिया को पूरी तरह से ट्रैक करने में मदद करेगा और इससे कर चोरी पर भी काबू पाया जा सकेगा।
शराब गोदामों में बायोमेट्रिक लॉकिंग
मध्य प्रदेश सरकार ने शराब गोदामों में शराब रखने के पुराने सिस्टम को बदलने का निर्णय लिया है। नई नीति के तहत, बायोमेट्रिक लॉकिंग प्रणाली को लागू किया जा सकता है, जिससे शराब गोदामों में जाने की प्रक्रिया और अधिक सुरक्षित बन सके। इसके साथ ही, इंटीग्रेटेड सप्लाई चेन बनाने का प्रस्ताव है, जिससे शराब के स्टॉक के मूवमेंट को ट्रैक किया जा सकेगा। इससे न केवल शराब की अवैध बिक्री पर रोक लगेगी, बल्कि शराब के वितरण प्रणाली में पारदर्शिता भी आएगी।
बार संचालकों के लिए नई शर्तें
अब से बार संचालकों को अपनी दुकान पर रोजाना स्टॉक की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। यह कदम शराब की अवैध बिक्री और स्टॉक की कमी को रोकने के लिए उठाया जा रहा है। यदि बार संचालक इस नियम का उल्लंघन करते हैं और जानकारी छुपाते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। इससे राज्य में शराब के व्यापार में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ेगी।
शराब की नगदी बिक्री पर रोक
नई आबकारी नीति में शराब की नगदी बिक्री पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया है। यह कदम शराब के व्यापार को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे न केवल शराब के व्यापार में पारदर्शिता आएगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी लेन-देन डिजिटल तरीके से किए जाएं, जिससे ट्रैकिंग और कर वसूली में आसानी हो।