नागपुर में औरंगजेब की कब्र विवाद: पुतला जलाने के बाद हिंसा, कर्फ्यू लागू, पुलिस पर हमला

महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर उठे विवाद ने हिंसा का रूप लिया। पुतला जलाने के बाद दो गुटों के बीच संघर्ष हुआ, पुलिस पर हमला, कई इलाकों में कर्फ्यू।

  • औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद बढ़ा, नागपुर में हिंसा।
  • भाजपा और हिंदू संगठनों ने कब्र हटाने की मांग की, जबकि शिवसेना और कांग्रेस ने विरोध किया।
  • कर्फ्यू लागू, पुलिस पर हमला, कई इलाकों में तनाव।

Aurangzeb controversy : महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर जो विवाद शुरु हुआ था, वह अब हिंसक रूप ले चुका है। इस विवाद के कारण शहर में तनाव फैल गया है, जिससे पुलिस को कर्फ्यू लगाने तक की नौबत आ गई। हालात इतने बिगड़े कि सोमवार रात को दो गुटों के बीच जमकर हिंसा हुई। पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी के बाद शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया और पुलिस पर हमला भी किया गया।

कर्फ्यू लागू, कई इलाकों में तनाव

नागपुर के महाल इलाके में हुई इस हिंसा के बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया। गणेशपेठ, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरा नगर और कपिल नगर जैसे कई इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। इसके अलावा, मुंबई के मुस्लिम बहुल इलाकों में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने स्थिति पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं और शहर में पुलिस की 20 टीमें तैनात की गई हैं। इसके साथ ही लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की गई है।

पुलिसकर्मियों पर हमला, DCP घायल

हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने पुलिस बल पर भी हमला किया। इस हमले में डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) निकेतन कदम घायल हो गए, जब उन्हें कुल्हाड़ी से हमला किया गया। पुलिस कमिश्नर रविंद्र सिंघल ने बताया कि, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 163 लागू की गई है।

इसके तहत पुलिस को शहर के विभिन्न इलाकों में सख्त कदम उठाने का अधिकार मिला है। इस हिंसा में 60 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि पुलिस और प्रशासन अब स्थिति को काबू करने में जुटे हैं।

विवाद की जड़ क्या थी?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब को लेकर एक बयान दिया था। उनका कहना था कि औरंगजेब को क्रूर शासक कहना गलत है और उसे बदनाम किया जा रहा है। इसके बाद, उनका यह बयान विरोध का कारण बना और हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया।

इसके बाद आजमी ने सफाई देते हुए कहा कि उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, लेकिन फिर भी उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया। बावजूद इसके, विवाद बढ़ता ही चला गया और भाजपा और हिंदू संगठनों ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग शुरू कर दी।

पुतला जलाने के बाद हुआ बवाल

17 मार्च को नागपुर में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने औरंगजेब का पुतला जलाया। इस पुतले में कथित रूप से आपत्तिजनक सामग्री का इस्तेमाल किया गया था, जिसकी वीडियो वायरल हो गई। इस वीडियो के बाद महाल इलाके में हिंसा भड़क उठी और दोनों गुटों के बीच पथराव और तोड़फोड़ शुरू हो गई।

उपद्रवियों ने दुकानों और घरों पर पथराव किया और कई वाहनों में आग लगा दी। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और स्थिति को काबू करने की कोशिश की, लेकिन हिंसा और भी बढ़ गई।महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस हिंसा को एक सोची-समझी साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब की कब्र को लेकर दोपहर में प्रदर्शन हुआ था, लेकिन रात होते-होते स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस बल पर पथराव और हमला हुआ। शिंदे ने कहा कि यह पूरी हिंसा एक योजना के तहत की गई है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कब्र हटाने की मांग

इस विवाद के बीच भाजपा सांसद उदयनराजे भोंसले और तेलंगाना के भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग की। उनका कहना था कि एक चोर और लुटेरे की कब्र पर सरकारी पैसा खर्च नहीं होना चाहिए। इस मांग का समर्थन विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल ने भी किया

और पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किए। दूसरी ओर, शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत और कांग्रेस विधायक विजय वडेट्टीवार ने इस मांग का विरोध किया। राउत ने कहा कि औरंगजेब की कब्र मराठाओं की वीरता का प्रतीक है, जबकि वडेट्टीवार ने सवाल उठाया कि कब्र हटाने से क्या हासिल होगा।

औरंगजेब की कब्र का इतिहास

औरंगजेब की कब्र महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर से 25 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद में स्थित है। औरंगजेब की मृत्यु 1707 में हुई थी और उसे उसकी इच्छा के अनुसार दफनाया गया था। मूल रूप से यह एक साधारण मिट्टी की कब्र थी, लेकिन बाद में ब्रिटिश वायसरॉय कर्जन ने वहां संगमरमर लगवाया था। औरंगजेब की कब्र को एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल माना जाता है और इसे लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है।

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