इंस्पेक्टर को फोन पे से 8000 की रिश्वत लेना पड़ गया भारी, बढ़ गई मुश्किल,जानिए पूरा मामला
सहकारिता विभाग में एनजीओ के रिन्यूअल के लिए आवेदन किया था। इसमें जांच की प्रक्रिया के दौरान इंस्पेक्टर विवेकानंद ने 15,000 रुपये की रिश्वत की मांग की।
- एसीबी की कड़ी कार्रवाई, रिश्वत लेने वाले सहकारी विभाग के इंस्पेक्टर की बढ़ी मुश्किलें
- एसीबी ने डूंगरपुर में सहकारिता विभाग के इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
- रिश्वत लेने के लिए फोन पे का उपयोग किया गया।
- एसीबी अब और भी जांच कर रही है, आरोपी के अन्य ठिकानों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
Anti Corruption Bureau : राजस्थान में भ्रष्टाचार पर शिकंजा कसते हुए एसीबी ने एक और रिश्वतखोर इंस्पेक्टर को रंगे हाथ पकड़ लिया है। यह मामला डूंगरपुर जिले का है, जहां सहकारिता विभाग के इंस्पेक्टर विवेकानंद पर रिश्वत लेने का आरोप है। शिकायत के बाद एसीबी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू कर दी। तो आइए जानते हैं, इस पूरे घटनाक्रम के बारे में कुछ और खास बातें।
रिश्वत का सौदा फोन पे पर हुआ
शिकायतकर्ता एक एनजीओ के संचालक थे, जिन्होंने सहकारिता विभाग में एनजीओ के रिन्यूअल के लिए आवेदन किया था। इसमें जांच की प्रक्रिया के दौरान इंस्पेक्टर विवेकानंद ने 15,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। एसीबी के अधिकारियों ने मामले की छानबीन की और सौदा 8,000 रुपये पर तय हुआ। यही नहीं, रिश्वत की रकम भी ऑनलाइन, यानी ‘फोन पे’ के माध्यम से ली गई। 19 दिसंबर को जब एनजीओ संचालक ने 8,000 रुपये दिए, तो एसीबी ने इंस्पेक्टर को रंगे हाथ पकड़ लिया।
एसीबी ने दर्ज किया मामला
इस पूरी घटना के बाद एसीबी ने मामला दर्ज करने के लिए मुख्यालय से मंजूरी ली, जो 25 फरवरी को मिली। इसके बाद डूंगरपुर एसीबी ने इंस्पेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। अब एसीबी इस मामले में और जांच कर रही है और आरोपी के अन्य ठिकानों पर भी छापेमारी की योजना है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई
राजस्थान में एसीबी और सीबीआई की तरफ से भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में सीबीआई ने भी भीलवाड़ा में एक कर्मचारी को पकड़ा था, जो विधवा पेंशन जारी करने के नाम पर 5,000 रुपये की रिश्वत ले रहा था।
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